बस्ती में क्षय रोगियों की तलाश में सौ टीमें लगाई गईं, जानें-अब तक कितने रोगी मिले Gorakhpur News
टीबी मरीज खोज अभियान में 55807 का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसमें 1105 से अधिक में टीबी के मिलते जुलते लक्षण पाए गए। इनके परिवारीजनों की काउंसलिंग की गई।
गोरखपुर, जेएनएन। बस्ती समेत पूरे यूपी से क्षय रोग भगाने के लिए घर घर क्षय (टीबी) रोगी तलाशे जा रहे हैं। इसके लिए सौ से अधिक टीमें लगाई गई है। सरकार के 2025 तक टीबी से मुक्त प्रदेश बनाने की दिशा में स्वास्थ्य महकमा गंभीर दिख रहा है। बस्ती में सर्व के दौरान 1105 से अधिक में टीबी के लक्षण पाए। इनकी पैथोलाजिकल जांच कराई गई तो 60 में टीबी घोषित किया गया।
55807 लोगों का हुआ स्वास्थ्य परीक्षण
जिले में सक्रिय टीबी मरीज खोज अभियान में 55807 का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसमें 1105 से अधिक में टीबी के मिलते जुलते लक्षण पाए गए। इनके परिवारीजनों की काउंसलिंग करने के साथ ही उनको भी नजदीकी अस्पताल में जाकर जांच कराने की सलाह दी गई। अभियान की सफलता के लिए जनपद के 14 ब्लाकों में कुल 106 टीमें लगाई गई हैं। 51913 घरों तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया गया।
टीम चार हजार से अधिक घरों तक पहुुंची
टीम चार हजार से अधिक घरों तक पहुुंच चुकी है। टीम के सदस्य किसी के घर पर पहुंचने के बाद पूरे परिवार के बारे में जानकारी करते हैं,फिर बीमारी का लक्षण बताकर घर-परिवार में किसी के बीमार होने के बारे में पता करते हैं। मरीज में टीबी का लक्षण पाए जाने के बाद पूरो ब्योरा दर्ज कर इसकी सूचना नोडल अफसर जिला क्षय रोग अधिकारी को भेज देते हैं। टीबी से ग्रसित मरीज को एक डिबिया देकर सुबह का बलगम एकत्र कर रखने को कहा जाता है। दूसरे दिन सुबह कार्यकर्ता वहां से जाकर डिबिया एकत्र कर उसकी जांच कराते हैं। बलगम की पैथालोजी की जांच में पुष्टि के बाद सीबीनाट मशीन से भी मरीज के सेंपल की जांच कराई जाती है।
फिर मिले 60 टीबी के नए रोगी
मुख्य चिकित्साधिकारी डा.एके गुप्ता का कहना है कि टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए एक बार पहले भी टीबी रोगी खोज अभियान चलाया जा चुका है। दस अक्टूबर से शुरू अभियान के तहत सर्वे के दौरान 1105 में टीबी के लक्षण पाए गए। जांच के दौरान इनमें से केवल 60 में टीबी पाया गया। इससे पहले पिछले अभियान (जून से नवंबर 2018) के दौरान 62 टीबी के मरीज पाए गए थे। इनके निश्शुल्क इलाज की सुविधा मुहैया कराने के साथ ही 500 रुपये मासिक प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। यह धनराशि मरीज को पौष्टिक आहार क्रय करने के लिए सरकार की ओर से दिया जाता है।