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95 फीसद सीटें खाली, 53 फीसद शिक्षकों के पद रिक्‍त..यह है गोरखपुर विश्‍वविद्यालय Gorakhpur News

गोरखपुर में अनुदानित और राजकीय महाविद्यालयों में 53 फीसद से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। यही नहीं विश्‍वविद्याल प्रशासन की गलती के कारण करीब 95 फीसद सीटें भी रिक्‍त हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 09 Jul 2019 12:12 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 10:06 AM (IST)
95 फीसद सीटें खाली, 53 फीसद शिक्षकों के पद रिक्‍त..यह है गोरखपुर विश्‍वविद्यालय Gorakhpur News
95 फीसद सीटें खाली, 53 फीसद शिक्षकों के पद रिक्‍त..यह है गोरखपुर विश्‍वविद्यालय Gorakhpur News

क्षितिज पांडेय, गोरखपुरनया शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है और प्रवेश का दौर जारी है, लेकिन प्रवेश ले रहे इन छात्रों को पढ़ाएगा कौन, यह तय नहीं है। गोरखपुर-बस्ती मंडल में अनुदानित और राजकीय महाविद्यालयों में 53 फीसद से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। यही नहीं यहां केवल शिक्षकों के पद ही नहीं बल्कि अधिकांश कक्षाओं की सीटें भी खाली हैं। बीए की तो करीब 95 फीसद सीटें खाली रहने की आशंका है।

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उच्‍च शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर चिंता शुरू हो गई है। कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। तमाम कॉलेजों में दर्जनों ऐसे विषय हैं जहां शिक्षकों का टोटा है। कहीं एक-दो शिक्षक है तो कई विभाग बिना शिक्षकों के ही संचालित हो रहे हैं। इन सबके बीच संगोष्ठियों में शिक्षाविद् गुणवत्ता को लेकर चिंता जाहिर करते रहते हैं, जबकि यहां सामान्य पठन-पाठन भी हो पाना मुश्किल है।

नेशनल पीजी कॉलेज का उदाहरण लें। यहां शिक्षकों के करीब 54 पद हैं जिनमें से 26 खाली हैं। मनोविज्ञान, भौतिक विज्ञान, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि प्रसार, कृषि अभियंत्रण, भूमि एवं जल संरक्षण विभाग में एक भी शिक्षक नहीं हैं तो वनस्पति विज्ञान के लिए एक ही शिक्षक हैं। सेंट एंड्रयूज कॉलेज में समाजशास्त्र, भूगोल और उर्दू पढ़ाने वाला कोई नियमित शिक्षक नहीं है। देवरिया के संत विनोबा कॉलेज में प्राचीन इतिहास और शारीरिक शिक्षा विभाग खाली है तो कुशीनगर के यूएन पीजी कॉलेज में ङ्क्षहदी, गणित, इतिहास, संस्कृत , भौतिकी, रसायन जंतु विज्ञान के सभी पद खाली हैं।

रिक्त पदों के सापेक्ष नई नियुक्तियां हो रही हैं। हालांकि फिर भी कुछ पद रिक्त रह जाएंगे। उनके लिए अधियाचन भेजा जा रहा है। पठन-पाठन सामान्य रहे, इसके लिए 70 वर्ष की आयु तक वाले सेवानिवृत्त शिक्षकों का सहयोग ले रहे हैं। - डॉ. अश्विनी मिश्रा, क्षेत्रीय उच्‍च शिक्षा अधिकारी (गोरखपुर-बस्ती मंडल)

918  में से 495 पद हैं खाली

कॉलेज - कुल पद - रिक्त पद

डीवीएनपीजी कॉलेज -42-19

डीएवी पीजी कॉलेज - 32-14

पवित्रा डिग्री कॉलेज -06-03

बापू पीजी कॉलेज - 10-05

महाविद्यालय भटवली बाजार -13-05

नेशनल पीजी कॉलेज-54-26

जेबी महाजन पीजी कॉलेज -12-06

श्यामेश्वर महाविद्यालय -11-04

एमजी पीजी कॉलेज-29-13

इमामबाड़ा गल्र्स कॉलेज - 15-09

सेंट एंड्रयूज कॉलेज -89-32

कुल - 271 - 130

देवरिया

बीआरडी पीजी कॉलेज- 31-15

मदन मोहन मालवीय पीजी कॉलेज - 53-29

राम जी सहाय पीजी कॉलेज - 12-08

बीआरडी बीडी पीजी कॉलेज - 28-11

स्वामी देवानंद पीजी कॉलेज - 36-15

संत विनोबा पीजी कॉलेज - 42-24

कुल 202 - 102

कुशीनगर

बुद्ध पीजी कॉलेज, कुशीनगर - 91-53

उदित नारायण पीजी कॉलेज -46-34

श्री भगवान पीजी कॉलेज -19-11

किसान पीजी कॉलेज-11-05

कुल - 167-103

महराजगंज

एलबीएस स्मारक पीजी कॉलेज- 17-11

जेएल नेहरू पीजी कॉलेज -47-21

कुल 64 - 32

बस्ती

महिला महाविद्यालय -12-07

एपीएन पीजी कॉलेज -31-19

पं. महादेव शुक्ल कृषक पीजी कॉलेज - 10-05

शिवहर्ष किसान पीजी कॉलेज - 50-38

कुल - 103 - 69

सिद्धार्थनगर

रतनसेन डिग्री कॉलेज -29-15

शिवपति स्नातकोत्तर महाविद्यालय -32-16

बुद्ध विद्यापीठ महाविद्यालय - 15-08

कुल - 76 - 39

संतकबीर नगर

एचआरपीजी कॉलेज - 35-17

(रिक्तियां अनंतिम हैं।)

95 फीसद सीटें रह जाएंगी खाली

विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति ने बगैर संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए किसी अभ्यर्थी का किसी महाविद्यालय में दाखिला लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पिछले वर्ष भी ऐसे प्रतिबंध थे, लेकिन बाद में खराब हालत को देखते हुए विश्वविद्यालय ने पुनर्विचार किया और कॉलेजों को सीधे प्रवेश लेने का अधिकार मिला। इसके चलते छात्र संख्या में इजाफा हुआ और करीब स्नातक में 2.85 लाख छात्रों का दाखिला हुआ। इस बार प्रवेश आवेदनों की संख्या और भी कम हो गई, ऐसे में कई कॉलेजों पर ताला लगाने तक की नौबत आ रही है। ऐसे में सीटें भरने के लिए कॉलेजों को अधिकार देने पर विचार हो रहा है।

ऐसे हैं हालात

विश्वविद्यालय की साझा स्नातक प्रवेश परीक्षा में बीए, बीएससी गणित, बीएससी जीवन विज्ञान, बीकाम सहित तमाम कोर्सों में सीटों के सापेक्ष नाम मात्र के आवेदन आए। बीए का उदाहरण लें तो इस बार इसमें 95 फीसद सीटें छात्रों के इंतजार में खाली रह जाएंगी। बीए में कुल 200, 351 सीटें हैं, लेकिन प्रवेश के लिए दावेदार हैं महज 11371 यानी 5.67 फीसद। बीएससी जैसे महत्वपूर्ण कहे जाने वाले कोर्स की हालत भी ऐसी ही है। बीएससी गणित की 71 फीसद और जीव विज्ञान की 93 फीसद सीटों पर कोई पढऩे वाला नहीं है। बीकाम की कुल 31574 सीटों के लिए महज 4684 अभ्यर्थी प्रवेश लेने को इच्‍छुक रहे।


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