इस जिले के 83.4 फीसद विद्यालयों में बच्चों के बैठने के लिए नहीं है डेस्क और बेंच
संतकबीर नगर में 1247 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें अधिकांश में बच्चों के बैठने के लिए डेस्क-बेंच नहीं है। कक्षाएं चलने पर बच्चों को फर्श पर टाट पट्टी चटाई आदि पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। महज 207 विद्यालयों में ही फर्नीचर की सुविधा है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता : संतकबीर नगर जनपद में कुल 1247 परिषदीय विद्यालय हैं। इसमें अधिकांश में बच्चों के बैठने के लिए डेस्क-बेंच नहीं है। कक्षाएं चलने पर बच्चों को फर्श पर टाट पट्टी, चटाई आदि पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ती है। महज 207 विद्यालयों में ही फर्नीचर की सुविधा है, जबकि 1040 (83.4 फीसद) में अभी तक इसकी व्यवस्था नहीं की जा सकी है। अव्यवस्था से इस सत्र भी विद्यालय में कक्षाएं चलने पर बच्चों को टाट-पट्टी व दरी पर बैठकर पढ़ना होगा। इससे न सिर्फ नामांकन पर असर पड़ेगा बल्कि बच्चों को मौसम की मार झेलने के लिए मजबूर होना होगा।
शासन स्तर से स्वीकृत हुआ धन
जनपद के असंतृप्त 1040 विद्यालयों के सापेक्ष 326 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फर्नीचर की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए 3.57 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इसके लिए सात माह से जेम पोर्टल के माध्यम से डेस्क-बेंच खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। इसका भुगतान जनपद स्तरीय समिति की संस्तुति पर संबंधित फर्म को किया जाना है। इसके बाद भी 714 विद्यालय असंतृप्त रह जाएंगे।
विद्यालयों की स्थिति
- जनपद में स्कूल 1247
-संविलियन (कंपोजिट एक से आठ) 250
- उच्च प्राथमिक 192
- प्राथमिक 805
कुल बच्चे 154681
326 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बेंच व डेस्क की खरीद के लिए मिला है धन
प्रभारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गिरीश कुमार सिंह ने कहा कि जिन विद्यालयों में फर्नीचर नहीं है, वहां इसकी उपलब्धता कराने का प्रयास किया जा रहा है। शासन से 326 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बेंच व डेस्क की खरीद के लिए धन मिला है। नियमानुसार क्रय की प्रक्रिया गतिमान है। इसी क्रम में आगे हर विद्यालयों में यह सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।
बच्चों की संख्या को लेकर उलझने लगी गणित
परिषदीय व निजी विद्यालयों में बच्चों की संख्या को लेकर शिक्षकों की गणित उलझने लगी है। शहर में एक तरफ प्राथमिक विद्यालय से कक्षा पांच उत्तीर्ण करने वाले बच्चे जहां जूनियर संविलियन विद्यालय में नामांकन करा रहे हैं, वहीं इनके साथ एक से पांच तक के बच्चे भी पहुंच रहे हैं। इससे शिक्षकों की उलझन बढ़ने लगी है। इसके साथ ही निजी विद्यालयों में बकाया बढ़ने से अभिभावक एक मुश्त धनराशि जमा न कर पाने परिषदीय विद्यालय में बिना अंक पत्र व स्थानांतरण प्रमाण पत्र के पहुंचकर नामांकन पर जोर दे रहे हैं। ऐसे में उम्र के हिसाब से कक्षा एक व दो में पढऩे वाले बच्चों का नाम कक्षा दो व चार में दर्ज हो रहा है।