आसान होगी गोरखपुर से वाराणसी की राह, 1320 करोड़ की लागत से बनेगी 80 किमी नई रेल लाइन
आखिरकार सरकार ने सहजनवां- दोहरीघाट लगभग 80 किमी नई रेल लाइन को मंजूरी दे दी। इस रेल लाइन से गोरखपुर से वाराणसी की दूरी घट जाएगी।
गोरखपुर, जेएनएन। आखिरकार, सरकार ने सहजनवां- दोहरीघाट लगभग 80 किमी नई रेल लाइन को मंजूरी दे ही दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस नई रेल लाइन पर मुहर लग गई। 1320 करोड़ की लागत से यह रेल लाइन तैयार होगी।
इस रेल लाइन से गोरखपुर से वाराणसी की दूरी घट जाएगी। सहजनवां में यह रेल लाइन बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा मेन लाइन में मिलेगी। वहीं दोहरीघाट से इंदारा होते हुए मऊ और वाराणसी चली जाएगी। यह रेल लाइन इंदारा से बलिया, छपरा और भटनी को भी जोड़ेगी। यानी, पूर्वांचल में रेल लाइनों का जाल बिछ जाएगा। जो नया वैकल्पिक रेल मार्ग तैयार करेगा। इस नए रेल मार्ग से गोरखपुर के दक्षिणांचल के लोगों की राह भी आसान हो जाएगी। दरअसल, डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) के बाद भी यह रेल लाइन रेट आफ रिटन्र्स सर्वे में फंसी हुई थी। जबकि, रेल मंत्रालय ने पहले ही इस लाइन के लिए 743.55 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत कर दिया था। हालांकि, आमजन और जन प्रतिनिधि इसकी मंजूरी को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे हैं। फिलहाल, प्रधानमंत्री मोदी ने यातायात की दृष्टि से पिछड़े गोरखपुर के दक्षिणांचल को एक शानदार सौगात दे दी है।
सत्तर के दशक से चल रहा सहजनवां-दोहरीघाट का सर्वे
रेल मंत्रालय ने सत्तर के दशक में ही आवागमन के मामले में पिछड़े क्षेत्र बांसगांव को रेलमार्ग से जोडऩे का प्रस्ताव बनाया था। दोहरीघाट से इंदारा होते हुए वाराणसी के लिए पहले से ही रेलमार्ग था। ऐसे में सहजनवां और दोहरीघाट को रेलमार्ग से जोडऩे की बात पर आम सहमति भी बन गई। सर्वे के बाद मामला ठंडा पड़ गया। वर्ष 1988-89 में तत्कालीन रेलमंत्री महावीर प्रसाद ने एकबार फिर इस क्षेत्र को रेलमार्ग से जोडऩे की पहल शुरू की। सर्वे कराया। तीसरी बार बार सहजनवां से वाया कौड़ीराम होकर दोहरीघाट को जोडऩे के लिए सर्वे कार्य हुआ। पर, यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। चौथे सर्वे के बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के बाद भी यह योजना फाइलों से बाहर नहीं निकल पाई। सर्वे के दौरान क्षेत्र में जगह-जगह गड़े रेलवे के पत्थर लोगों के दिलों में टीस पैदा कर रहे थे।
यहां बनेंगे रेलवे स्टेशन
सहजनवां, पिपरौली, खजनी, उनवल, बांसगांव, उरुवा, गोला बाजार, बड़हलगंज और दोहरीघाट।
इस नई रेल लाइन से गोरखपुर के दक्षिणांचल के विकास को गति मिलेगी। पूर्वोत्तर रेलवे को एक नया वैकल्पिक मार्ग मिलेगा। ट्रेनों का संचलन और प्रभावी ढंग से हो सकेगा। - पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे
खलीलाबाद-बहराइच नई रेल लाइन को हो चुका है शिलान्यास
केंद्र सरकार की कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश के यातायात की दृष्टि से पिछड़े क्षेत्र खलीलाबाद-बहराइच नई रेल लाइन को भी मंजूरी दे दी है। नई रेल लाइन संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर और बहराइच जनपद से होकर गुजरेगी। 240 किमी लंबी यह नई रेल लाइन खलीलाबाद से शुरू होकर मेंहदावल, डुमरियागंज, उतरौला, श्रावस्ती, भिनगा और बहराइच तक बिछाई जाएगी। इस रेल लाइन को पूरा करने के लिए वर्ष 2024-25 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। निर्माण के लिए कैबिनेट ने 4940 करोड़ रुपये का बजट भी प्रस्तावित कर दिया है। दो मार्च 2019 को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने खलीलाबाद में इस नई रेल लाइन की नींव रखी थी। बजट में इस रेल लाइन के लिए दस करोड़ रुपये भी आवंटित कर दिए गए हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान दैनिक जागरण ने बनाया था मुद्दा
लोकसभा चुनाव के दौरान दैनिक जागरण ने सहजनवां-दोहरीघाट नई रेल लाइन में हो रही देरी को मुद्दा बनाया था। दैनिक जागरण ने 13 अप्रैल 2019 के अंक में मुद्दा पेज पर पांच दशक में सिर्फ सर्वे के पत्थर शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। मुद्दा में नई रेल लाइन में आने वाली मुश्किलों और आम लोगों की पीड़ा को प्रमुखता से उठाया गया था।