Lockdown in Gorakhpur: बिना परीक्षा दिए ही पास हो जाएंगे विश्वविद्यालय के 7564 छात्र, जानें-क्या है वजह Gorakhpur News
यदि यूजीसी की गाइडलाइन जारी होती है और बिना परीक्षा के छात्रों को प्रमोट किया जाता है तो गोरखपुर विश्वविद्यालय के 7564 विद्यार्थी सीधे लाभान्वित होंगे।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संकट के कारण ऊहापोह में फंसे विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) की गाइडलाइन ने संजीवनी का काम किया है। यदि यह गाइडलाइन जारी होती है और बिना परीक्षा के छात्रों को प्रमोट किया जाता है तो विश्वविद्यालय के 7564 विद्यार्थी सीधे लाभान्वित होंगे।
व्यक्तिगत छात्रों को भी मिलेगा लाभ
इस नियम का फायदा पोस्ट ग्रेजुएट मध्यवर्ती सेमेस्टर के साथ ही स्नातक प्रथम व द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को भी मिलेगा। यदि विश्वविद्यालय इसे अपने यहां लागू करता है तो संबद्ध महाविद्यालय के संस्थागत के साथ ही व्यक्तिगत छात्र भी इससे लाभान्वित होंगे।
शोध छात्रों को मिलेगी राहत
वर्तमान में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में शोधरत विद्यार्थियों की अवधि को छह माह विस्तारित करने का भी यूजीसी ने सुझाव दिया है। यदि यह सुझाव भी लागू होता है तो ऐसे शोध छात्र जिनकी शोध करने की समय सीमा समाप्त हो रही है और शोध उनका कार्य अधूरा है। तो उन्हें इसका सीधा लाभ मिलेगा।
यूजीसी की नई गाइडलाइन पर छात्रों की मुहर
कोरोना संकट से जूझ रहे उच्च शिक्षण संस्थाओं के संदर्भ में जारी यूजीसी की नई गाइडलाइन को बेहतर बताते हुए छात्र-छात्राओं ने इस पर अपनी मुहर लगा दी है। विद्यार्थियों का कहना है कि इससे जहां सत्र नियमित होगा वहीं पाठ्यक्रम भी समय से पूरे होंगे। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की परास्नातक छात्रा हर्षिता शुक्ला का कहना है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश इस आपातकालीन स्थिति को देखते हुए बेहतर निर्णय है। यह विद्यार्थियों के हित में है तथा यह सत्र नियमन में मददगार साबित होगा। इसी शोध छात्र राजन कुमार दुबे का कहना है कि यूजीसी द्वारा परीक्षा पढ़ाई और सत्र संचालन को लेकर सुझाए गए बिंदुओं पर अमल करना शिक्षा व छात्रहित में होगा। इसे लागू कर सत्र को शून्य होने से बचाया जा सकता है। शोध छात्रा पूनम मौर्या का कहना है कि यूजीसी द्वारा देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए जारी एकेडमिक कैलेंडर आपदा की स्थिति में एक महत्वपूर्ण पहल है। संकट से उबरने तक वैकल्पिक उपायों के सहारे ही पढ़ाई जारी रख सत्र को बचाया जा सकता है।