पांच वर्ष में मिलीं 51 जोड़ी ट्रेनें, 102 स्टेशनों पर मिला ट्रेनों का ठहराव
पिछले चार से पांच वर्षों में पूर्वोत्तर रेलवे को 51 जोड़ी नई एक्सप्रेस ट्रेनें मिली हैं। इसके अलावा 17 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनें भी झोली में आई हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। पूर्वोत्तर रेलवे में छोटी लाइन अब इतिहास बनने की तरफ अग्रसर है। दो साल में सभी छोटी लाइनें बड़ी हो जाएंगी। अधिकतर लाइनों का आमान परिवर्तन पूरा हो चुका है। जो लाइनें बची हैं, उनके आमान परिवर्तन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव के अनुसार आधारभूत संरचनाओं में तेजी के साथ विकास हो रहा है। आमान परिवर्तन ही नहीं दोहरीकरण और विद्युतीकरण भी तेजी के साथ हो रहा है। साथ ही यात्री सुविधाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पिछले चार से पांच वर्षों में पूर्वोत्तर रेलवे को 51 जोड़ी नई एक्सप्रेस ट्रेनें मिली हैं। इसके अलावा 17 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनें भी झोली में आई हैं। यह सभी ट्रेनें विभिन्न रूटों पर चलाई जा रही हैं। यही नहीं छह ट्रेनों के फेरे बढ़ाए गए। यात्रियों की सुविधा के लिए 102 स्टेशनों पर ट्रेनों का अतिरिक्त ठहराव प्रदान किया गया है। ऐसे में छोटे स्टेशनों के आसपास रहने वाले लोगों को भी इसका लाभ मिल रहा है। सीपीआरओ के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे रूट से चारो छोरों पर गाडिय़ां पहुंच रही हैं। विभिन्न स्टेशनों से अमृतसर, पुणे, अहमदाबाद, जबलपुर, मुंबई, ग्वालियर, चंडीगढ़, आगरा कैंट, दिल्ली, कोलकाता, प्रयोग, गुवाहाटी, कटिहार और देहरादून के लिए सीधी ट्रेनें चलाई जा रही हैं। गोरखपुर से अंत्योदय एक्सप्रेस भी चलने लगी हैं।
लोड के बाद भी 70 फीसद से अधिक समय पालन
पूर्वोत्तर रेलवे रूट पर क्षमता से अधिक ट्रेनें चल रही हैं। इसके बाद नई ट्रेनें भी मिली हैं। इस लोड के बाद भी ट्रेनों का समय पालन बढ़ा है। यात्री ट्रेनों और मालगाडिय़ों के बीच पूर्वोत्तर रेलवे का समय पालन 70 फीसद से ऊपर चल रहा है। रेलवे प्रशासन 80 फीसद से अधिक समय पालन करने के लिए लगातार प्रयासरत है।