कैसी व्यवस्था, फुंक रहे ट्रांसफार्मर, उबल रहे लोग
गोरखपुर: बिजली निगम के अफसरों की लापरवाही इस साल भी उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है। आ
गोरखपुर: बिजली निगम के अफसरों की लापरवाही इस साल भी उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है। आश्वासन, दावे और अधिकार मिलने के बाद भी अफसरों ने ट्रांसफार्मरों की क्षमता नहीं बढ़वाई। इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। फुंके ट्रांसफार्मरों को समय से बदलवाया नहीं जा रहा है। इस कारण उपभोक्ताओं को घंटों बिना बिजली रहना पड़ रहा है। जुलाई महीने की शुरुआत से अब तक गोरखपुर मंडल में 400 से ज्यादा ट्रांसफार्मर फुंक चुके हैं। यानी रोजाना 50 ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं। इनमें गोरखपुर में ही 15-20 ट्रांसफार्मर रोजाना फुंक रहे हैं। यदि अफसरों ने समय रहते ही ट्रांसफार्मरों की क्षमता में वृद्धि करा दी होती तो उपभोक्ताओं को इतनी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता।
मंडल में सैकड़ों ट्रांसफार्मर ओवरलोड हैं। यह ट्रांसफार्मर आए दिन जलते रहते हैं। इस कारण इनसे जुड़े उपभोक्ताओं को कई दिन बिना बिजली रहना पड़ता है। पिछले साल बिजली निगम के निर्देश पर ओवरलोड ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि करने की योजना बनाई गई थी। गोरखपुर मंडल में भी ओवरलोड ट्रांसफार्मरों की लिस्ट बनाई गई थी। इनमें उन ट्रांसफार्मरों को शामिल किया गया था जो कुछ दिनों के अंतराल पर जल जाते हैं। वर्कशॉप से भी बार-बार जलने वाले ट्रांसफार्मरों की लिस्ट मंगाई गई थी। अफसरों ने दावा किया था कि वर्ष 2018 में गर्मी शुरू होने से पहले इन ट्रांसफार्मरों को बदल दिया जाएगा लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है। अधीक्षण अभियंताओं को है अधिकार
बिजली निगम ने अधीक्षण अभियंताओं को एक करोड़ रुपये तक खर्च करने का अधिकारी दिया है। इन रुपयों से वह ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि करा सकते हैं लेकिन ज्यादातर अधीक्षण अभियंता इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। वर्कशॉप में ट्रांसफार्मर रखने की जगह नहीं
ज्यादा ट्रांसफार्मर जलने के कारण वर्कशॉप में जगह नहीं बची है। अफसर किसी तरह ट्रांसफार्मर को इधर-उधर रखकर मरम्मत करा रहे हैं। आलम यह है कि वर्कशॉप के बाहर कबाड़ हो चुके ट्रांसफार्मरों का पहाड़ लग चुका है। पिछले साल पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अतुल निगम ने कबाड़ ट्रांसफार्मरों को नीलामी के जरिये बेचने के निर्देश दिए थे लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है।
शहर में 24, गांव में 48 घंटे में बदलने का है नियम
प्रदेश सरकार ने शहर में जले ट्रांसफार्मर को बदलने के लिए अधिकतम समय सीमा 24 घंटे तय की है। गांव में ट्रांसफार्मर 48 घंटे के भीतर बदले जाने हैं। विशेष परिस्थितियों में शहर में 48 और गांव में अधिकतम 72 घंटे में बदलने के निर्देश हैं लेकिन ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर समय से नहीं बदले जा रहे हैं। शहर में हैं आठ ट्रॉली ट्रांसफार्मर
गोरखपुर शहर में वर्तमान में आठ ट्रॉली ट्रांसफार्मर हैं। इन ट्रांसफार्मर को ट्रॉली पर रखकर उन स्थानों पर लगाया जाता है जहां वर्कशॉप से तत्काल ट्रांसफार्मर न मिलने की स्थिति होती है। नियमानुसार इन ट्रांसफार्मर को रिजर्व में रखा जाता है लेकिन लगातार ट्रांसफार्मर जलने के कारण ट्रॉली ट्रांसफार्मर भी खाली नहीं हैं।
उपभोक्ताओं का भी दोष कम नहीं
ट्रांसफार्मर जलने में उपभोक्ताओं का भी दोष कम नहीं है। घरों में लगातार बिजली के उपकरणों की संख्या बढ़ती जा रही है लेकिन उपभोक्ता कनेक्शन का भार यानी लोड नहीं बढ़वा रहे हैं। हालत यह है कि दो किलोवाट का कनेक्शन है और घरों में तीन-चार एसी तक चलाई जा रही है। लोड की सही जानकारी न होने के कारण ट्रांसफार्मरों की क्षमता नहीं बढ़ाई जा पाती है। कोट
ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि को लेकर बिजली निगम गंभीर है। बार-बार जलने वाले ट्रांसफार्मरों की सूची बनाई गई है। इन ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि कराई जाएगी। अधीक्षण अभियंता को ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि कराने का अधिकार दिया जा चुका है।
एमके अग्रवाल, चीफ इंजीनियर बिजली