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बैंक पर 50 हजार रुपये का अर्थ दंड

बस्ती जिले में एक महिला को ऋण देने में आनाकानी करने पर उपभोक्ता फोरम ने स्टेट बैंक की शाखा पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। आदेश में यह कहा गया है कि बैंक चाहे तो यह रकम बैंक के प्रबंध से वसूल सकता है, क्योंकि वही सीधे तौर पर जिम्मेदार है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 May 2018 01:38 PM (IST)Updated: Sat, 05 May 2018 01:38 PM (IST)
बैंक पर 50 हजार रुपये का अर्थ दंड
बैंक पर 50 हजार रुपये का अर्थ दंड

गोरखपुर : बैंक की सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी ऋण न देने को न्यायालय ने गंभीरता से लिया है। बस्ती में उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राम दरश व सदस्य महादेव प्रसाद दुबे ने भारतीय स्टेट बैंक की बस्ती नगर शाखा के प्रबंधक एवं फील्ड ऑफिसर पर 50हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। आदेश में यह भी कहा गया है कि बैंक चाहे तो अकेले शाखा प्रबंधक से सारा धन वसूल सकती हैं।

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बस्ती जनपद के नगर थाना क्षेत्र के फुलवरिया गांव निवासी राजेन्द्र पांडेय की पत्‍‌नी काती देवी ने एडवोकेट के जरिये अदालत में अर्जी दी कि उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत इंटरलाकिंग ब्रिक्स बनाने की इकाई स्थापित करना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने ऋण के लिए आवेदन किया। जिला उद्योग केंद्र ने कांती देवी का साक्षात्कार लिया और प्रोजेक्ट पास कर पत्रावली भारतीय स्टेट बैंक की नगर शाखा में ऋण हेतु भेज दिया। शाखा प्रबंधक प्रेम प्रकाश गिरि और फील्ड ऑफिसर दुर्ग विजय सिंह ने ऋण के लिए काफी दौड़ाया। सभी औपचारिकताएं पूरी कराया। कांति देवी से एसबीआइ लाइफ इंश्योरेंश में पाच लाख रुपये का बीमा भी कराया गया। बीमा की किश्त राशि 50 हजार रुपये भी जमा कराए गए। इसके बाद भी ऋण नहीं दिया गया। पीड़िता का आरोप है कि ऋण मंजूर करने के लिए 10 फीसद कमीशन मागा गया। पीड़िता का कहना है कि उसने 10 फीसद कमीशन नहीं दिया। इसी कारण ऋण मंजूर नही किया गया। दोनो पक्षों की सुनने के बाद अदालत ने इसे लापरवाही का गंभीर प्रकरण मानते हुए कुल 55 हजार रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी कहा है कि यह भुगतान 60 दिन में हो जाना चाहिए। भुगतान नहीं होने पर सात फीसद ब्याज भी देना होगा। न्यायालय ने माना कि इन सब के लिए बैंक के शाखा प्रबंधक मुख्य रूप से जिम्मेदार है। बैंक संपूर्ण राशि उनसे वसूल करने के लिए स्वतंत्र है।


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