एक्सप्रेस-वे के लिए आमी नदी से निकाली जाएगी 50 लाख घनमीटर मिट्टी Gorakhpur News
लिंक एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए आमी नदी से 50 लाख घनमीटर मिट्टी और सिल्ट निकालकर इसे गहरा किया जाएगा। गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोडऩे के लिए बन रहे 91.352 किमी लंबे लिंक एक्सप्रेस में 90 लाख घनमीटर मिट्टी की जरूरत है।
गोरखपुर, [रजनीश त्रिपाठी}। आमी नदी से 50 लाख घनमीटर मिट्टी और सिल्ट निकालकर इसे गहरा किया जाएगा। मिट्टी का इस्तेमाल गोरखपुर से आजमगढ़ के बीच बन रहे लिंक एक्सप्रेस-वे में होगा। खुदाई 77 किलोमीटर लंबाई में होगी, चौड़ाई कहां-कितनी होगी यह तय होना बाकी है। शासन को इसका प्रस्ताव भेजा गया है, वहां से मंजूरी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। जिला प्रशासन के इस कदम से जहां नदी अपने मूल स्वरूप में लौटेगी वहीं एक्सप्रेस-वे के लिए मिट्टी की जरूरत भी पूरी हो जाएगी। एनजीटी चेयरमैन की 12 जनवरी को जताई गई उस चिंता का भी समाधान हो जाएगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'प्रदेश सरकार प्रदूषण के अपराध को कैसे रोकेगी, इसकी कोई योजना नजर नहीं आ रही है।
आमी को मिलेगी संजीवनी, एक्सप्रेस वे को रफ्तार
प्रदूषण की मार झेल रही आमी को लेकर एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) चेयरमैन आदर्श कुमार गोयल की नाराजगी का असर नजर आने लगा है। जीवनदायिनी आमी को नया जीवन देने के लिए जिला प्रशासन ने जो रास्ता निकाला है, उससे नदी न केवल वास्तविक आकार लेगी बल्कि विकास को भी रफ्तार मिलेगी। दरअसल गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से जोडऩे के लिए बन रहे 91.352 किमी लंबे लिंक एक्सप्रेस में 90 लाख घनमीटर मिट्टी की जरूरत है। निर्माण एजेंसी एप्को इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर एम.श्रीनिवासन राव ने इसको लेकर प्रशासन से बात की, जिसके बाद नदी की खुदाई कर मिट्टी निकालने की योजना तैयार हुई। फिलहाल इस मिट्टी से सहजनवां से जैतपुर के बीच एक्सप्रेस-वे का आधार तैयार किया जाएगा। प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि जिला प्रशासन से मिट्टी की जरूरत के बारे में बताया गया था, जिसके बाद नदी की खुदाई की योजना बनी। कितने एरिया में कहां खुदाई होगी यह सर्वे के बाद तय होगा। हम लोग प्रशासन के निर्देश पर काम करेंगे।
आमी नदी गहरा कर इसे वास्तविक स्वरूप में लाने के लिए इसकी खुदाई कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। मिट्टी का इस्तेमाल लिंक एक्सप्रेस के निर्माण में कराया जाएगा। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। - के. विजयेंद्र पाण्डियन, जिलाधिकारी गोरखपुर
तीन माह में मांगा है मुख्य सचिव से जवाब
गोरखपुर की मीरा शुक्ला की याचिका पर 12 जनवरी को सुनवाई करते हुए एनजीटी ने गंगा की सहायक नदियों में बिना शोधन सीवेज गिरने पर खासी नाराजगी जताई थी। प्राधिकरण ने टिप्पणी की थी कि यह विधि के शासन के विरुद्ध है और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। एनजीटी ने मुख्य सचिव और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली कमेटी को इस संंबंध में तीन महीने में रिपोर्ट फाइल करने के लिए निर्देशित किया था। उन्होंने कहा कि रामगढ़ ताल के साथ आमी, राप्ती, रोहिन समेत गोरखपुर के आसपास की अन्य नदियों का प्रदूषण दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। मुख्य सचिव व्यक्तिगत तौर पर निगरानी करें।