सिद्धार्थनगर के बांसी में भी बनेगा 50 बेड का कोविड अस्पताल
कोविड संक्रमण से लोगों को महफूज रखने के लिए अब ग्राम प्रधान भी आगे आने लगे हैं। गांव में सफाई से लेकर दवाओं का छिड़काव इत्यादि तो सभी करा रहे हैं। लेकिन मानादेई के युवा प्रधान खुद ही आक्सीमीटर व थर्मल स्कैनर ले कर गांव वासियों की जांच करने में जुटे हैं। होम आइसोलेट लोगों से भी वह बेखौफ मिलते हैं और जांच के बाद आक्सीजन लेवल व तापमान की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देते हैं।
सिद्धार्थनगर: कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की तैयारी में बांसी में भी 50 बेड के कोविड अस्पताल खोले जाने की मंजूरी मिल चुकी है। इसके लिए सीएमओ डा. संदीप चौधरी युद्ध स्तर पर प्रयासरत हैं। वह रविवार को इसके लिए बांसी के सीएचसी बसंतपुर, खेसरहा व मिठवल के तिलौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया।
बांसी पहुंचे सीएमओ ने अस्पताल में मौजूद कमरों को देखा। इस अस्पताल में छह वार्ड में से चार वार्ड को विभिन्न विभागों का कक्ष बना दिया गया है। नतीजतन उन्हें यहां जगह का अभाव दिखाई दिया। यहां से वहां खेसरहा सीएचसी पर गए यहां भी उन्हें कोई ऐसी जगह व कमरे नहीं मिले जिसमें 50 बेड का कोविड अस्पताल संचालित हो सके। तिलौली अस्पताल तीन मंजिल का बना हुआ प्रथम तल में ही पूरा अस्पताल संचालित होता है। ऊपर के दोनों तल खाली है। यह अस्पताल बांसी-बस्ती एनएच मार्ग पर ही स्थित हे। तमाम दृष्टिकोण से सीएमओ को यहां अस्पताल संचालित किया जाना उचित तो लगा पर विभागीय सहमति बिना वह अभी कुछ स्पष्ट नहीं किए। सीएमओ डा. संदीप चौधरी ने बताया कि हर तहसील में जल्द से जल्द कोविड अस्पताल की स्थापना हो जानी है। तहसील के जिस भी अस्पताल में पर्याप्त जगह होगी, इसे वहीं खोला जाएगा।
प्रधान बने नजीर, माप रहे बुखार व आक्सीजन लेवल
कोविड संक्रमण से लोगों को महफूज रखने के लिए अब ग्राम प्रधान भी आगे आने लगे हैं। गांव में सफाई से लेकर दवाओं का छिड़काव इत्यादि तो सभी करा रहे हैं। लेकिन मानादेई के युवा प्रधान खुद ही आक्सीमीटर व थर्मल स्कैनर ले कर गांव वासियों की जांच करने में जुटे हैं। होम आइसोलेट लोगों से भी वह बेखौफ मिलते हैं और जांच के बाद आक्सीजन लेवल व तापमान की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देते हैं।
मानादेई के प्रधान नवयुवक हैं, राजनीतिक घराने से ताल्लुक न रखने के बाद भी जब जनता ने उन्हें चुना तो वह भी संक्रमणकाल में जनता का दुख- दर्द बांट रहे हैं। ग्राम पंचायत में उन्होंने थर्मल स्कैनर और आक्सीमीटर की व्यवस्था कर रखी है। गांव में अगर किसी की तबीयत खराब होती है तो स्वास्थ्य टीम से पहले वह लोगों के पास पहुंचते हैं। थर्मल स्कैनर से तापमान और आक्सीमीटर से आक्सीजन लेवल की जांच करते हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम को सूचित भी करते हैं, जिससे बीमारों को समय पर सलाह और दवा मिल सके। बताया कि गांव में अधिकतर लोग गरीब तबके के हैं, इसलिए उन्होंने आक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर अपने खर्च से मंगाया, जिससे लोगों को सहूलियत मिले। पहले आक्सीमीटर न होने के चलते होम आइसोलेट लोगों को काफी परेशानी होती थी।