देवरिया जेल में कैदी कर रहे 4जी मोबाइल का प्रयोग, खतरा बढ़ा
देवरिया जिला जेल में खतरा बढ़ गया है। वहां बंद शातिर कैदी अब 4जी मोबाइल का प्रयोग कर रहे हैं। जेल में सिर्फ 2जी नेटवर्क को ही जाम करने के लिए जैमर लगाए गए हैं। इसलिए 4जी नेटवर्क का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। यह किसी बड़े खतरे का संकेत है।
गोरखपुर : देवरिया जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर सख्ती के इंतजाम में शासन से दो कदम आगे हैं जेल के बंदी। बंदियों पर शिकंजा कसने के लिए जेल में मोबाइल टॉवर को जाम किया गया है। नेटवर्क ध्वस्त करने के लिए जेल प्रशासन की ओर से लगाए गए जैमर 2जी नेटवर्क तक ही सीमित हैं, जबकि बदमाश जेल में बैठकर 4जी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि ये जैमर बहुत पहले लगाए गए हैं। बीते साल ही जैमर लगाए गए थे। जैमर लगाने के बाद सवालों से घिरे जेल प्रशासन आने वाले दिनों में हाई गुणवत्ता वाले जैमर लगाने की बात कह रहा है।
डेढ़ वर्ष पहले बाहुबली अतीक अहमद के नैनी जेल से देवरिया ट्रांसफर होते ही जिला कारागार की सुरक्षा बिगड़ गई। बाहुबली अतीक के साथ ही कुछ शातिर भी जेल में मोबाइल का इस्तेमाल करने लगे। फरवरी में छापेमारी के दौरान डीएम, एसपी ने जेल से 43 मोबाइल बरामद किए थे। गोरखपुर से आए डिप्टी कमिश्नर व एसपी रोहित ¨सह सजवान की छापेमारी में दो मोबाइल पकड़े थे। इन मामलों में जेल अधीक्षक की तरफ से मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके बाद भी जेल में मोबाइल मिलने का सिलसिला जारी रहा। जेल में लगे जैमर खिलौना साबित हुए तो जेल से फोन पर बदमाश रंगदारी व धमकी देने लगे। दो मामलों में भी मुकदमे दर्ज हुए। बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद डीएम, एसपी ने अतीक की बैरक में छापेमारी कर मोबाइल, पेन ड्राइव, समेत कई आपत्तिजनक सामान बरामद किया। गुरुवार की रात शातिर बदमाश अजय यादव के पास से मिले दो मोबाइल से फिर से सुरक्षा की पोल खोल दी।
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बंदीरक्षकों की से¨टग से अंदर जाता है मोबाइल
बंदीरक्षकों के साठगांठ व लापरवाही से जेल के अंदर मोबाइल पहुंच रहा है। सुरक्षा के तीन चक्र को शातिर आसानी से भेद दे रहे हैं। सीसीटीवी कैमरे में भी संदिग्ध पकड़ में नहीं आते। सुरक्षा में सेंध लगने के बाद छह महीने के अंदर एक बंदी रक्षक अवधेश यादव को सस्पेंड किया गया। जबकि दो बंदीरक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है। गुरुवार को छापेमारी के दौरान तीन मोबाइल मिलने पर जेल प्रशासन ने जांच बैठा दी है।
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मुट्ठीभर बंदी रक्षकों के भरोसे जेल
लगभग साढ़े पांच सौ क्षमता वाली जेल में 1700 बंदी निरुद्ध है। इनकी सुरक्षा में महज 56 बंदीरक्षकों की तैनाती की गई है। तीस सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। बैरक में पहुंचने से पहले तीन जगहों पर जांच की जाती है। दो मेटल डिटेक्टर से गुजरने के बाद ही बंदियों को बैरक में किया जाता है।
जेल अधीक्षक दिलीप कुमार पांडेय का कहना है कि सघन तलाशी के बाद सामान, बंदियों को बैरक में भेजा जाता है। मोबाइल कैसे पहुंची इसकी जांच की जा रही है। लापरवाही सामने आने पर दोषी बंदीरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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