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सात साल में खर्च हुए 4.60 करोड़ रुपये, नहीं साफ हुआ रामगढ़ताल Gorakhpur News

2014 से रामगढ़ताल की सफाई का जिम्मा जल निगम के पास था और हर साल 55 से 65 लाख रुपये तक इस काम के लिए खर्च किए गए। सात साल में करीब 4.60 करोड़ रुपये जलकुंभी निकालने पर खर्च हुए हैं फिर भी ताल साफ नहीं हो सका है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 11:10 AM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 11:10 AM (IST)
सात साल में खर्च हुए 4.60 करोड़ रुपये, नहीं साफ हुआ रामगढ़ताल Gorakhpur News
गोरखपुर के रामगढ़ताल में लगी जलकुंभी। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। रामगढ़ताल की सुंदरता गोरखपुर की पहचान बन चुकी है। पर, समय-समय पर इस ताल में फैलने वाला जलकुंभी का जाल इसकी सुंदरता पर दाग लगाता रहता है। ताल साफ रहे, इसके लिए जलकुंभी निकालने का प्रयास होता रहा है। 2014 से इसकी सफाई का जिम्मा जल निगम के पास था और हर साल 55 से 65 लाख रुपये तक इस काम के लिए खर्च किए गए लेकिन जब भी वहां तेज बही, पूरा ताल जलकुंभी से पटा नजर आया। जनवरी 2021 से गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) इस ताल की सफाई की जिम्मेदारी निभा रहा है और अब तक करीब आठ से 10 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। अब तक का हिसाब करें तो सात साल में करीब 4.60 करोड़ रुपये जलकुंभी निकालने पर खर्च हुए हैं फिरभी ताल साफ नहीं हो सका है। जलकुंभी फैली रहती है तो नौकायन का आनंद उठाने आने वाले पर्यटकों को भी निराश होना पड़ता है।

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रागढ़ताल को बेहतर बनाने के लिए स्वीकृत हुए थे 196 करोड़

वर्ष 2010 में रामगढ़ ताल को बेहतर बनाने के लिए 196 करोड़ की परियोजना शुरू हुई थी। परियोजना के तहत ताल से गाद निकाली गई। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की स्थापना की गई। पम्पिंग स्टेशन बनाए गए तथा कुछ दूर तक सीवर लाइन डाली गई।

तीन विभागों को करनी थी बजट की व्यवस्था

ताल के रखरखाव की जिम्मेदारी भले ही जल निगम की थी लेकिन धन की व्यवस्था जीडीए, नगर निगम तथा आवास विकास परिषद को करना था। एसटीपी के संचालन तथा ताल की सफाई पर जल निगम ने बड़ी धनराशि खर्च की। कुछ धनराशि देने के बाद तीनों विभागों ने जल निगम को अनुरक्षण राशि नहीं उपलब्ध कराई। जीडीए, नगर निगम व आवास विकास परिषद पर जल निगम का अभी भी तकरीबन 13 करोड़ रुपए बकाया है।

ताल में चारो ओर जलकुंभी का जाल

गुरुवार को रामगढ़ ताल में चारो ओर जलकुंभी ही नजर आ रही थी। जीडीए ने जलकुंभी की निकासी के लिए 200 मजदूरों के साथ ही आधा दर्जन नाव, पोकलेन तथा डीवीडिंग मशीन लगायी है। सुबह से लेकर शाम तक काम जारी है लेकिन जलकुंभी है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है।

ताल में बनेंगे पांच प्लेटफार्म

पोकलेन व ट्राली को ताल तक पहुंचाने के लिए पांच प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं। इससे जलकुंभी का तेजी से निस्तारण हो सकेगा। अभी जलकुंभी को ट्राली पर लोड करने में ही काफी समय और श्रम लग रहा है। ताल तक प्लेटफार्म बन जाने से जलकुंभी को पोकलेन से ट्राली पर लोड किया जा सकेगा जिससे समय की बचत होगी। पैड़लेगंज से प्रेक्षागृह के बीच तीन प्लेटफार्म बनाए जाएंगे। चौथा प्लेटफार्म मोहद्दीपुर में आरकेबीके के पीछे तथा पांचवां चिड़िया घर के पास बनाया जाएगा।

जलकुभी निकासी के लिए निविदा आमंत्रित

जीडीए रामगढ़ ताल से जलकुंभी की निकासी के लिए अब विशेषज्ञ फर्म की सेवा लेगा। इसके लिए जीडीए ने बुधवार को टेंडर निकाल दिया है। रामगढ़ ताल के 200 एकड़ दायरे से जलकुंभी निकालने में बड़ी धनराशि खर्च होगी। जीडीए ने टेंडर निकालने के जल निगम से रेट लिया लिया है। जलकुंभी निकालने का अनुमानित खर्च 25.50 रुपए प्रति वर्ग मीटर संभावित है। ताल के 809371 वर्ग मीटर के दायरे में जलकुंभी फैली हुई है। अनुमानित दर के हिसाब से 20638960 रूपए खर्च हो सकते हैं। वास्तविक खर्च टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सामने आएगा। जलकुंभी के फैलाव का आकलन जीडीए ने ड्रोन सर्वे तथा गूगल अर्थ की सहायता से किया है।

जलकुंभी की सफाई का काम जीडीए द्वारा किया जा रहा है। प्रोफेशनल फर्म से सफाई के लिए टेंडर भी निकाला गया है। जल्द ही इस समस्या का स्थायी समाधान कर दिया जाएगा। - आशीष कुमार, उपाध्यक्ष जीडीए।


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