गलतियों को सीढ़ी बना, पहुंचें सफलता के शीर्ष पर : के सिवन
इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने युवाओं से गलतियों, उपेक्षाओं और असफलताओं को उन्नति और विकास के लिए सबसे आवश्यक बताया है। वह गोरखपुर विश्वविद्यालय में 37वें दीक्षा समारोह में बोल रहे थे।
गोरखपुर, (जेएनएन)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने युवाओं से गलतियों, उपेक्षाओं और असफलताओं को उन्नति और विकास के लिए सबसे आवश्यक बताया है। रॉकेट मैन उपनाम से विख्यात इसरो के मुखिया ने कहा कि आप यह कतई न सोचें कि आपके विचारों को 'क्रेज़ी' कहेंगे या 'एक्सीलेंट'। बस अपने विचारों को प्रयोग की शक्ल देने और उसमे परिवर्धन के लिए सोचें।
इसरो चैयरमैन शुक्रवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय में 37वें दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में छात्र-छात्राओं से मुखातिब थे। थॉमस अल्वा एडिशन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर एडिशन लोगों की प्रतिक्रियाओं से घबराते तो कभी महान नहीं बन पाते। देश के विकास के लिए शोध और अनुसंधान को आवश्यक बताते हुए उन्होंने युवाओं से कहा कि साइंस टेक्नोलॉजी और इनोवेशन देश के विकास के लिए आवश्यक तत्व हैं। युवा अपने अनूठे नवाचारों से युक्त विचारों को इस उद्देश्य से प्रयोग की शक्ल देने ओर प्रयास करें।
उन्होंने कहा कि यह कतई ज़रूरी नहीं कि जो आप की पहली पसंद हो, आप उसे हासिल कर ही लें। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि आप प्रयास करना छोड़ दें। कुछ पाना की चाह है तो रिस्क लेना होगा। इसरो इसी सिद्धान्त पर काम करता है। अगर फेल होने के डर से हम कोशिश करना छोड़ देंगे, रिस्क नहीं लेंगे, तो जीवन मे कुछ हासिल नहीं कर सकेंगे। संसाधनों का अभाव, अवसरों की कमी जैसे विषयों पर विचार करना अपनी योग्यता और क्षमता को कम करके आंकना है। ज़िन्दगी को सकारात्मकता के साथ जिएं। स्वर्ण पदक प्राप्त कर्ता होनहारों को बधाई देते हुए के सिवन ने कहा आगे बढ़ो, पुरानी चहारदीवारियों को तोड़ो और अपने लिए नई लीक गढ़ो। इससे पहले 37वें दीक्षा समारोह की अध्यक्षता कर रहे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राम नाईक ने विश्वविद्यालय के सत्र 2017-18 के छात्रों को दीक्षोपदेश देते हुए योग्यतानुसार स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधि प्रदान की।
कुलाधिपति ने दिया स्वर्ण पदक
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के सिवन, कुलाधिपति राम नाईक और कुलपति प्रो वीके सिंह ने स्नातक और स्नातकोत्तर की परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले होनहार छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से नवाजा। मेधा सूची में एक बार फिर बेटियों का ही जलवा है। जिन 50 होनहारों को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक एवं स्मृति पदक से नवाजा गया, उनमें 39 केवल बालिकाएं हैं। विश्वविद्यालय परिसर में एमएससी गणित की छात्रा रहीं मान्या मणि त्रिपाठी और शालू मद्धेशिया ने सबसे अधिक 88.92 फीसद अंक प्राप्त कर वर्ष 2018 में स्नातक एवं परास्नातक स्तर पर संयुक्त रूप से शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। इसके अलावा 120 शोधार्थियों को पीएचडी की उपाधि से विभूषित किया गया। वर्ष 2017 के एलएलबी और बीजे की उपाधि भी इसी समारोह में प्रदान की गयी।
पदक विवरण
कुल विवि स्वर्ण पदक : 50
कुल स्मृति पदक : 80
पदक प्राप्तकर्ता छात्र : 14
पदक प्राप्तकर्ता छात्राएं : 39
पीएचडी उपाधि
कुल प्राप्तकर्ता : 120
छात्राएं : 56
छात्र : 64
स्नातक-स्नातकोत्तर उपाधि
कुल उपाधि : 75908
विवि परिसर : 6076 महाविद्यालय : 69832
छात्र : 27212
छात्राएं : 48696