Coronavirus lockdown: लॉकडाउन में खाद्यान्न लेकर पहुंचींं 328 मालगाडिय़ां Gorakhpur News
Coronavirus lockdown लॉकडाउन में 400 मालगाडिय़ां पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न स्टेशनों पर पहुंच चुकी हैं जिसमें 328 मालगाडिय़ां खाद्यान्न लेकर पहुंची हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। यात्री ट्रेन सेवाओं के बंद होने के बाद भी मालगाडिय़ां खाद्य और आवश्यक सामग्री लेकर देश के एक से दूसरे छोर तक फर्राटा भर रही हैं। पूर्वोत्तर रेलवे में भी मालगाडिय़ों का संचलन निर्बाध गति से हो रहा है। अभी तक 400 मालगाडिय़ां पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न स्टेशनों पर पहुंच चुकी हैं, जिसमें 328 मालगाडिय़ां खाद्यान्न लेकर पहुंची हैं।
इतना सामान पहुंचा चुकी हैं मालगाडि़यां
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार 95 रेक खाद्यान्न, पांच रेक खाने का तेल, चार रेक नमक, 78 रेक खाद, 35 रेक सीमेंट तथा 29 रेक डीजल और पेट्रोल पूर्वोत्तर रेलवे के विभिन्न स्टेशनों पर पहुंची हैं। इसके अलावा 34 रेक खाद्यान्न और चीनी यहां से लोड किया गया है। आवश्यक सामान पहुंचाने के लिए लखनऊ के रास्ते गोरखपुर से काठगोदाम के बीच पार्सल ट्रेन भी चलाई जा रही है।
उद्यमियों ने दिया ध्यान, नहीं कम हुए जरूरी सामान
लॉकडाउन लागू हुए एक महीना हो चुका है। इस दौरान लोगों ने पूरी ईमानदारी से इसका पालन भी किया। प्रशासन के साथ मिलकर उद्यमियों और व्यापारियों ने जरूरतमंदों की सुविधा का खास ख्याल रखा। बाहर से सामान नहीं आ पा रहे थे तो जरूरी सामान से जुड़ी स्थानीय औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन अप्रैल के पहले सप्ताह से ही शुरू कर दिया गया। इसका लाभ हुआ कि गोरखपुर एवं आसपास के क्षेत्रों में आटा, मैदा, ब्रेड, बिस्किट, चोकर व बेकरी जैसे जरूरी सामान की कमी नहीं होने पाई। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) व इंडस्ट्रियल एरिया में करीब 30 से अधिक इकाइयों में उत्पादन जारी है। नौ फ्लोर मिलों में आटा व मैदा का उत्पादन हो रहा है। मैदा उपलब्ध हो जाने से ब्रेड, बिस्किट की फैक्ट्रियों में भी उत्पादन शुरू है। इसके अलावा बेकरी के अन्य सामान भी बाजार में पहुंच रहे हैं। बीच के दिनों में चोकर की उपलब्धता कम होने से दाम बढ़ गए थे लेकिन उत्पादन शुरू हो जाने के बाद आसानी से पशुओं के लिए चोकर मिलने लगा। करीब 10 से 12 फैक्ट्रियां पशु आहार बना रही हैं। आटा, मैदा, चोकर आदि पैक करने के लिए बोरे भी बनाए जा रहे हैं। लॉकडाउन के दूसरे चरण में 15 और इकाइयों में उत्पादन शुरू हो चुका है।
लॉकडाउन से आए ठहराव ने बदल दी जीवन शैली
भागदौड़ भरी जिंदगी में ठहराव की ख्वाहिश तो बहुत थी पर शायद ही किसी को यह भरोसा था कि वह पूरी भी होगी। लॉकडाउन ने उस भरोसे को पूरा किया है। पूरे एक महीने तक घर में रहने के लिए मजबूर करके। मजबूरी खुद के फायदे से जुड़ी है, सो हर कोई इसे सकारात्मक रूप से ले रहा है। यही वजह है कि सबने अपने दिनचर्या ही नहीं बल्कि पूरी जीवन शैली को बदल दिया है। लोगों के मुताबिक बदली जीवन शैली उनका सपना थी, जो अब जाकर पूरी हो रही है। नियमित दिनचर्या जीवन की जरूरत सी बनती जा रही है।
अब ऐसी हो गई दिनचर्या
आजाद नगर के रहने वाले व्यवसायी राजेश गुप्ता बताते हैं कि उनकी दुकान सुबह आठ बजे से लेकर रात 10 बजे तक खुलती थी। ऐसे में जीवन शैली को लेकर कोई भी नियम बन नहीं पाता। लॉकडाउन शुरू हुआ तो जीवन को नियमित करने की कोशिश की। एक महीने में तो पूरी दिनचर्या पटरी पा आ गई है या यूं कहें कि जीवनशैली को बेहतर करने की ख्वाहिश पूरी हुई है तो गलत नहीं होगा। मल्टी नेशनल कंपनी में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत दीवान बाजार के तपन राय अक्सर काम के सिलसिले में शहर के बाहर ही रहते हैं। ऐसे में खानपान से लेकर व्यायाम तक प्रभावित रहता है। पर इन दिनों सब नियमित हो गया है। शेषपुर के एडवोकेट राम कुमार गुप्ता का कहना है कि इस लॉकडाउन ने हमें जीने का सलीका सिखा दिया। गोरखनाथ क्षेत्र के व्यवसायी केशव दास मृगवानी, सुभाष नगर के रेलकर्मी सुनील तिवारी, इलाहीबाग के शिक्षक उमेश सिंह इस बात को पूरी दमदारी से कहते हैं कि लॉकडाउन ने उनकी जीवन शैली को इच्छानुरूप बना दिया।