किसानों ने किया कमाल, हर सीजन में होने लगी 320 करोड़ लीटर पानी की बचत Gorakhpur News
एक हजार हेक्टेयर खेतों में फसलों की सिंचाई के जरिये जिले के करीब 750 किसानों ने करीब 320 करोड़ लीटर पानी की बचत की है। माइक्रोइरीगेशन के जरिये यह बचत हुई है।
जितेंद्र पांडेय, जेएनएन। जल की प्रत्येक बूंद महत्वपूर्ण है। पानी की बूंदे बर्बाद न हों इसलिए सरकार माइक्रोइरीगेशन योजना पर विशेष जोर दे रही है। गत वर्ष उद्यान विभाग की तरफ से इस योजना के तहत किसानों को करीब एक हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए अनुदान पर कृषि यंत्र दिए गए हैं। इस विधि द्वारा सिंचाई में करीब 40 से 50 प्रतिशत जल की बचत होती है। अर्थात एक हजार हेक्टेयर खेतों में फसलों की सिंचाई के जरिये जिले के करीब 750 किसानों ने करीब 320 करोड़ लीटर पानी की बचत की है।
खेतों के लिए सिर्फ 80 सेंटीमीटर पानी की जरूरत
हर फसल के लिए पानी की जरूरतें अलग-अलग होती हैं। औसतन फसलों की बुआई से लेकर तैयार होने में करीब 80 सेंटीमीटर पानी की जरूरत होती है। एक हजार हेक्टेयर के अनुसार करीब 80 लाख घनमीटर पानी अर्थात 800 करोड़ लीटर पानी की जरूरत होगी। बीते वर्ष एक हजार हेक्टेयर में सिंचाई के लिए 633 किसानों को स्प्रिंकलर, 48 किसानों को रेनगन, 63 किसानों को ड्रिप इरीगेशन, 5 किसानों को मिनी स्प्रिंकलर दिया गया। ड्रिप इरीगेशन के जरिये सब्जियों की सिंचाई करने वाले जंगल अयोध्याप्रसाद के किसान मोहन का कहना है कि सब्जियों की खेती के लिए पहले बड़े पैमाने पर पानी की जरूरत पड़ती थी। अब बड़े पैमाने पर पानी की बचत होती है। ऐसे में यदि 40 फीसद बचत का आंकलन किया जाए तो हर सीजन में एक हजार हेक्टेयर के हिसाब से करीब 320 करोड़ लीटर पानी की बचत हो रही है।
इस बार यह है लक्ष्य
ड्राप मोर क्राप माइक्रो इरीगेशन योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में ड्रिप के लिए 430, पोर्टेबल स्प्रिंकलर के लिए 705, माइक्रो स्प्रिंकलर के लिए 130, मिनी स्प्रिंकलर के लिए 65, रेनकन के लिए 120 कुल 2255 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। इसमें लघु व सीमांत किसानों को 90 व सामान्य किसानों को 80 फीसद अनुदान की व्यवस्था है। राजकीय उद्यान विभाग के अधीक्षक बलजीत सिंह का कहना है कि किसान योजना का लाभ लेने के लिए आधारकार्ड के आधार पर पंजीकरण कराकर योजना का लाभ ले सकते हैं। माइक्रोइरीगेशन के जरिये न सिर्फ पानी की बचत होगी, बल्कि उत्पादन भी बेहतर होगा।