तबादले की रडार पर 30 बंदीरक्षक
गारेखपुर जिला जेल में तैनात बंदी रक्षकों का तबादला होने वाला है। इनमें से कई ऐसे हैं जो 10 साल से जमे हुए हैं और उनका कुछ बदमाशों से साठ गांठ है। ऐसे लोगों की सूची तैयार हो गई है।
गोरखपुर : तबादला नीति घोषित होने के बाद बंदीरक्षकों में बेचैनी बढ़ गई है। सात साल से एक ही जेल में कार्यरत बंदी रक्षकों को दूसरी जेल भेजने की तैयारी चल रही है। शासन से निर्देश के बाद जेल प्रशासन की ओर से ऐसे बंदीरक्षकों की सूची तैयार कराई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि 30 से अधिक बंदीरक्षक ऐसे हैं जो 10 साल से जेल में जमे हुए हैं। इनमें से कुछ पर बदमाशों से साठगांठ का आरोप लग चुका है। दागी होने के बाद भी ऐसे बंदीरक्षक जेल की सुरक्षा में है। ऐसे बंदीरक्षकों की सूची मुख्यालय भेजी जाएगी।
जेल में अधिकतर बंदीरक्षक शासन द्वारा एक जेल में तैनात रहने की तय की गई अवधि से अधिक वक्त से कार्यरत हैं। ऐसे बंदीरक्षक कई बार जेल प्रशासन के लिए समस्या की वजह बन जाते हैं। क्योंकि लंबे समय से एक ही जगह कार्यरत रहने की वजह से इन बंदीरक्षकों का जेल में बंदियों से अच्छा संबंध बन जाता है। उनके प्रभाव में आकर बंदीरक्षक सुरक्षा की बजाय बंदियों के लिए काम करने लगते है। बंदीरक्षकों के इन करतूतों से छुटकारा पाने के लिए प्रदेश सरकार ने नई तबादला नीति घोषित की है। गोरखपुर मंडलीय कारागार में सवा सौ से अधिक बंदीरक्षक कार्यरत हैं। 30 फीसद से अधिक बंदीरक्षक निर्धारित अवधि से अधिक वक्त से यहां तैनात हैं। अधिकांश मूल रूप से गोरखपुर और आसपास के जिलों के रहने वाले हैं। एक साल पहले गोरखपुर जेल से शातिर बदमाश संजय यादव के नाम से डॉक्टर से रंगदारी मांगी गई थी। जांच में पता चला कि दो बंदीरक्षकों ने मोबाइल की व्यवस्था कराई थी। हालांकि बदमाश की वायस जांच में मामला अटका पड़ा है। इसके अलावा जेल में हुए बवाल के पीछे लंबे समय से जमे बंदीरक्षकों का हाथ बताया गया। बवाल में उनकी भूमिका की जांच अभी लंबित है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉ. रामधनी का कहना है कि सूची तैयार हो रही है, निर्धारित समय पूरा कर चुके बंदीरक्षकों की सूची मुख्यालय भेजी जाएगी।