बेकार गए तीन करोड़, बंद हो गए 58 गोआश्रय स्थल
सालभर पहले 130 गोआश्रय स्थल में रखे गए थे 3698 बेसहारा पशु 72 गोआश्रय स्थल बचे बेसहारा पशुओं की संख्या में 1421 की कमी
जागरण संवाददाता, बस्ती : प्रदेश सरकार की गोवंश सरंक्षण जैसी महत्वपूर्ण योजना जिले में बदइंतजामी की भेंट चढ़ गई। लगातार गो आश्रय स्थल बंद होते जा रहे हैं। इनमें रखे गए बेसहारा पशुओं की संख्या भी तेजी से घट रही है। 58 गो आश्रय स्थलों के निर्माण पर तीन करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए। योजना को लेकर जिम्मेदार ही बेखबर हैं। दिसंबर 2019 तक जिले के 130 ग्राम पंचायतों में अस्थाई गोआश्रय स्थल का निर्माण कराकर उन्हें संचालित किया गया था। जिनमें 3698 बेसहारा पशु रखे गए थे। पंचायती राज विभाग की माने तो एक गोआश्रय स्थल के निर्माण पर कम से कम पांच लाख रुपये खर्च हुए थे। गोआश्रय स्थल समय के साथ ही बदइंतजामी के शिकार होते गए। नतीजा एक-एक यह बंद होते जा रहे हैं। इन आश्रय स्थलों की उपयोगिता न होने से गोवंश की संख्या भी घटती गई। वर्तमान में गोआश्रय स्थलों की संख्या 130 से घटकर 72 पर पहुंच गई हैं। यानी कुल 58 गोआश्रय स्थल पिछले 10 माह की अवधि में किसी न किसी कारणवश बंद हो गए। इनमें रखे गए बेसहारा पशुओं की संख्या भी घटकर 2277 तक पहुंच गई। छह माह में ही बंद हो गया दुबौली दूबे का गोआश्रय स्थल विक्रमजोत विकास खंड के दुबौली दूबे ग्राम पंचायत में मई 2019 में सात लाख रुपये से अधिक खर्च कर बनाए गए पशुआश्रय स्थल महज छह महीने में ही बंद हो गया। बहादुरपुर ब्लाक के रामपुर ग्राम पंचायत में बनवाया गया गोआश्रय स्थल भी साल भीतर बंद कर दिया गया। लो लैंड वाले गोआश्रय स्थल बंद हुए : सीवीओ अस्थायी गो आश्रय स्थल बनवाते समय लो लैंड का ध्यान नहीं दिया गया। बारिश के कारण अधिकांश गो आश्रय स्थलों में पानी भर गया। बेसहारा पशुओं को परेशानी हो रही थी। इक्का दुक्का पशु आश्रय स्थल गोवंश की संख्या कम होने के कारण भी बंद हुए हैं। डा. एके तिवारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी