मायावती सरकार में मामूली दाम पर बेंची गई थीं चीनी मिलें, बर्बाद हो गए गन्ना किसान
मायावती के सरकार में गन्ना किसान पूरी तरह से बर्बाद हो गए। प्रदेश की 21 चीनी मिलों को मामूली कीमत पर बेंच दिया गया।
By Edited By: Published: Wed, 01 May 2019 06:06 AM (IST)Updated: Thu, 02 May 2019 02:46 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। मायावती के शासनकाल में गोरखपुर मंडल की नौ चीनी मिलों को औने-पौने दाम में बेची गई थीं। सीबीआइ जांच शुरू होने के साथ चीनी मिलों के बेचे जाने का मामला फिर गरम हो गया है। खरीदारों को फायदा पहुंचाने के लिए मिलों को मामूली दाम में बेचे जाने के मामले में कई लोगों के गर्दन फंसने की संभावना बढ़ गई है।
प्रदेश की 21 चीनी मिलों को बेंच मालामाल हुए दलाल उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड के अधीन प्रदेश की 21 चीनी मिलों को मायावती सरकार के कार्यकाल में 2010-11 में बेचा गया था। इनमें से 10 मिलें उस समय चालू हालत में थीं, 11 मिलें बंद थीं।
सीएजी की रिपोर्ट में मिलों को गलत तरीके से औने-पौने दाम में बेचे जाने की पुष्टि हुई थी। हालांकि बसपा के बाद सत्ता में आई सपा सरकार ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की थी। मिलों की वर्तमान कीमत से 15 गुना कम कीमत पर इन्हें बेचा गया था। सर्किल रेट और स्टांप ड्यूटी की अनदेखी कर भी करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान कराया गया था। साथ ही मिलों की मशीनों, आवासों, गोदामों का भी मनमानी रेट निर्धारित किया गया था। खंडहर होने के कारण बिकने से बच गई थी पिपराइच मिल बसपा सरकार के कार्यकाल में पिपराइच चीनी मिल खंडहर हो चुकी थी।
ज्यादातर मशीनें कंडम हो गई थीं। जमीन भी कम थी इसलिए यह मिल बिकने से बच गई थी। यदि मिल की स्थिति ठीक रहती तो पिपराइच चीनी मिल भी बसपा सरकार में बिक गई होती। गोरखपुर मंडल की बिकीं ये चीनी मिलें गोरखपुर मंडल- बैतालपुर, देवरिया, भटनी, घुघली, छितौनी, लक्ष्मीगंज, रामकोला, सिसवा बाजार, खड्डा प्रदेश में कुल इतनी मिलों को औने-पौने दाम में बेंचा गया मायावती सरकार में चीनी मिलों को बेंचने का जैसे होड़ मच गया। इसमें अमरोहा, चादपुर, जरवल रोड, सिसवा बाजार, सहारनपुर, बुलंदशहर, बिजनौर, सकौती टाडा, रोहाना कला, खड्डा की चीनी मिलें चालू हालत में थी।
जबकि बरेली, हरदोई, बाराबंकी, शाहगंज, बैतालपुर, देवरिया, भटनी, घुघली, छितौनी, लक्ष्मीगंज और रामकोला की चीनी मिलें बंद थी। इनमें सिसवा बाजार और घुघली महराजगंज में थीं। खड्डा, छितौनी, लक्ष्मीगंज और रामकोला कुशीनगर तथा बैतालपुर, देवरिया व भटनी मिलें देवरिया में थीं। खड्डा चीनी मिल चालू हालत में थी।
प्रदेश की 21 चीनी मिलों को बेंच मालामाल हुए दलाल उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड के अधीन प्रदेश की 21 चीनी मिलों को मायावती सरकार के कार्यकाल में 2010-11 में बेचा गया था। इनमें से 10 मिलें उस समय चालू हालत में थीं, 11 मिलें बंद थीं।
सीएजी की रिपोर्ट में मिलों को गलत तरीके से औने-पौने दाम में बेचे जाने की पुष्टि हुई थी। हालांकि बसपा के बाद सत्ता में आई सपा सरकार ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की थी। मिलों की वर्तमान कीमत से 15 गुना कम कीमत पर इन्हें बेचा गया था। सर्किल रेट और स्टांप ड्यूटी की अनदेखी कर भी करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान कराया गया था। साथ ही मिलों की मशीनों, आवासों, गोदामों का भी मनमानी रेट निर्धारित किया गया था। खंडहर होने के कारण बिकने से बच गई थी पिपराइच मिल बसपा सरकार के कार्यकाल में पिपराइच चीनी मिल खंडहर हो चुकी थी।
ज्यादातर मशीनें कंडम हो गई थीं। जमीन भी कम थी इसलिए यह मिल बिकने से बच गई थी। यदि मिल की स्थिति ठीक रहती तो पिपराइच चीनी मिल भी बसपा सरकार में बिक गई होती। गोरखपुर मंडल की बिकीं ये चीनी मिलें गोरखपुर मंडल- बैतालपुर, देवरिया, भटनी, घुघली, छितौनी, लक्ष्मीगंज, रामकोला, सिसवा बाजार, खड्डा प्रदेश में कुल इतनी मिलों को औने-पौने दाम में बेंचा गया मायावती सरकार में चीनी मिलों को बेंचने का जैसे होड़ मच गया। इसमें अमरोहा, चादपुर, जरवल रोड, सिसवा बाजार, सहारनपुर, बुलंदशहर, बिजनौर, सकौती टाडा, रोहाना कला, खड्डा की चीनी मिलें चालू हालत में थी।
जबकि बरेली, हरदोई, बाराबंकी, शाहगंज, बैतालपुर, देवरिया, भटनी, घुघली, छितौनी, लक्ष्मीगंज और रामकोला की चीनी मिलें बंद थी। इनमें सिसवा बाजार और घुघली महराजगंज में थीं। खड्डा, छितौनी, लक्ष्मीगंज और रामकोला कुशीनगर तथा बैतालपुर, देवरिया व भटनी मिलें देवरिया में थीं। खड्डा चीनी मिल चालू हालत में थी।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें