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सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण की 20 इकाइयों को मंजूरी, अनुदान भी देगी सरकार orakhpur News

उत्‍तर प्रदेश शासन ने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण की 20 इकाइयों की स्थापना को मंजूरी दे दी है। असंगठित क्षेत्र के उद्यमी या फूड प्रोसेसिंग से जुड़े लोग इकाइयों की स्थापना के लिए राजकीय उद्यान अधीक्षक कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 11:45 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 11:45 AM (IST)
सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण की 20 इकाइयों को मंजूरी, अनुदान भी देगी सरकार orakhpur News
सरकार ने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण की 20 इकाइयों को मंजूरी दी है।

गोरखपुर, जेएनएन। शासन ने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण की 20 इकाइयों की स्थापना को मंजूरी दे दी है। असंगठित क्षेत्र के उद्यमी या फूड प्रोसेसिंग से जुड़े लोग इकाइयों की स्थापना के लिए राजकीय उद्यान अधीक्षक कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं। फिलहाल एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल काला नमक को इस योजना में रखा गया है। हालांकि काला नमक के अलावा केला, मिर्च आदि की यूनिट लगाने के इच्छुक लोगों को भी प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है।

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राजकीय उद्यान विभाग के अधीक्षक अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि पर्याप्त संख्या में इकाई स्थापित करने वाले उद्यमी न मिलने पर प्रधानमंत्री फार्मेलाइजेशन आफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज (पीएम एफएमई) योजना के लाभार्थी भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के एमआइएस पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं।

दो जिला स्तरीय ट्रेनर रखे जाएंगे

खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए सभी जिलों में दो जिला स्तरीय प्रशिक्षक (डीएलटी) रखे जाएंगे। ओडीओपी के तहत रखे जाने वाले ट्रेनर की योग्यता फूड टेक्नोलाजी में डिग्री या डिप्लोमा, फूड साइंस या फूड प्रोसेसिंग विषय से जुड़े विषय पर डिग्री या डिप्लोमा होनी चाहिए। साथ में ट्रेनिंग का दो साल का अनुभव होना चाहिए। एंटरप्रोन्योरशिप डेवलपमेंट प्रोग्राम (ईडीपी) के तहत तैनात होने वाले ट्रेनर की अलग योग्यता निर्धारित की गई है। इन्हें प्रति ट्रेनिंग तीन हजार रुपये मानदेय दिया जाएगा। साथ ही ट्रेनिंग लेने वाले को पांच सौ रुपये दिए जाएंगे।

यह कर सकेंगे

राजकीय खाद्य विज्ञान प्रशिक्षण केंद्र गोरखपुर के प्रधानाचार्य व मंडलीय अधिकारी खाद्य प्रसंस्करण पवन कुमार ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण में किसी भी खाने योग्य सामग्री के मूल का संवर्धन किया जाता है। जैसे धान से चावल बनाना संवर्धन है। योजना में चावल से जुड़े अन्य उत्पाद तैयार कर इसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग की जा सकेगी। यूनिट में कुल प्रस्ताव की लागत का 35 फीसद या अधिकतम 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। लाभार्थी को बैंक से ऋण लेना जरूरी होगा।


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