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आभूषण गिरवी रख दी थी रकम, अब पता चला ठगी की हो गई शिकार Gorakhpur News

संगीता साहनी के मोबाइल पर 26 फरवरी को फोन आया था। दूसरी तरफ से बोलने वाले खुद का परिचय सरकारी कर्मचारी के तौर पर देते हुए उन्हें बताया कि उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों में शामिल हो गया है।

By Satish chand shuklaEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 03:34 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 03:34 PM (IST)
आभूषण गिरवी रख दी थी रकम, अब पता चला ठगी की हो गई शिकार  Gorakhpur News
महिला से जालसाजी का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। गगहा इलाके के गजपुर बाजार निवासी संगीता साहनी को सरकारी योजना से आवास दिलाने का झांसा देकर जालसाजों ने 20 हजार रुपये ठग लिए हैं। इन रुपयों का इंतजाम उन्होंने गहने गिरवी रखकर किया था। बाद में ठगे जाने का पता चलने पर उन्होंने इस संबंध में तहरीर दी। ठगी के लिए जालसाजों ने महिला को एक वीडियो भेजा था। उस वीडियो के आधार पर पुलिस जालसाजों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।

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26 फरवरी को जालसाज का आया था फोन

संगीता साहनी के मोबाइल पर 26 फरवरी को फोन आया था। दूसरी तरफ से बोलने वाले खुद का परिचय सरकारी कर्मचारी के तौर पर देते हुए उन्हें बताया कि उनका नाम प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों में शामिल हो गया है। आवास के लिए तीन लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं। फोन करने वाले ने इस रकम को निकालने से पहले कागजी औपचारिकता पूरी करने के लिए 20 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा। साथ ही उसने रुपये जमा करने के लिए खाता नंबर भी बताया।

जालसाजों ने भेजा था फर्जी वीडियो

संगीता देवी ने किसी तरह से इंतजाम कर आठ हजार रुपये खाते में जमा किया। कुछ दिन बाद उसी नंबर से संगीता देवी को एक वीडियो संदेश मिला। साथ में एक व्यक्ति के आधार कार्ड की फोटो भेजी गई थी। वीडियो में एक कमरे के अंदर कुछ लोग आपस में बात करते दिख रहे हैं। एक व्यक्ति कहता है कि जो 20 हजार रुपये नहीं जमा किया है लाभार्थियों की सूची में से उसका नाम काट दिया जाय। जालसाज ने जो आधार कार्ड भेजा था वह किसी नितिन कुमार के नाम से है। उस पर गोमतीनगर लखनऊ का पता दर्ज है।

आभूषण गिरवी रखकर किया पैसे का इंतजाम

वीडियो में नाम कटने की बात सुनकर संगीता दबाव में आ गईं। उन्होंने अपने गहने गिरवी रखकर 12 हजार रुपयों का इंतजाम करने के बाद जालसाज के खाते में भेज दिया। बाद में उन्होंने जालसाज के नंबर पर संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं हो पाई। इससे सशंकित होकर उन्होंने ग्राम प्रधान से मिलकर आवास आवंटन के बारे में बात की तब जाकर खुद के ठगी का शिकार होने का उन्हें पता चला।


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