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मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में 188 जोड़े ने थामा एक-दूजे का हाथ

सोनौरा सईबुर्जुग गांव की खुशबू ने कहा कि उनके पिता मोलहू और मां शारदा देवी मेरी शादी को लेकर चितित थे। शादी का खर्च उठाने में असमर्थ थे। प्रदेश सरकार की इस योजना के चलते उनकी दहेज रहित शादी बघौली ब्लाक के बंजरिया गांव के निवासी मकालू पुत्र लालमन संग हुई। परिवार के सभी लोगों के लिए आज का दिन सदैव याद रहेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 06:04 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 06:04 AM (IST)
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में 188 जोड़े ने थामा एक-दूजे का हाथ
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में 188 जोड़े ने थामा एक-दूजे का हाथ

संतकबीर नगर: खलीलाबाद के घोरखल स्थित एक मैरिज हाल में शनिवार को पांच पंडितों ने 177 हिदू जोड़ों व पांच मौलवियों ने 11 मुस्लिम जोड़ों कुल 188 जोड़ों का सामूहिक विवाह व निकाह कराया। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हुए शादी-निकाह के बाद विधायक दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे, राकेश सिंह बघेल सहित अन्य जन प्रतिनिधियों, डीएम दिव्या मित्तल, एसपी डा. कौस्तुभ, सीडीओ अतुल मिश्र सहित अन्य अधिकारियों ने विवाहित जोड़ों पर पुष्प वर्षा की। प्रत्येक जोड़े को एक-एक आम्रपाली का पौधा देते हुए इनके सुखमय जीवन की ईश्वर से कामना की। माता-पिता की चिता दूर हुई सोनौरा सईबुर्जुग गांव की खुशबू ने कहा कि उनके पिता मोलहू और मां शारदा देवी मेरी शादी को लेकर चितित थे। शादी का खर्च उठाने में असमर्थ थे। प्रदेश सरकार की इस योजना के चलते उनकी दहेज रहित शादी बघौली ब्लाक के बंजरिया गांव के निवासी मकालू पुत्र लालमन संग हुई। परिवार के सभी लोगों के लिए आज का दिन सदैव याद रहेगा। खुशी इतनी कि शब्दों में बयां नहीं कर सकती मेंहदावल ब्लाक के कुसौना गांव की बबिता ने कहा कि उनके पिता बैजनाथ ने उनकी शादी फूलवरिया गांव के निवासी देवेंद्र कुमार पुत्र रामअचल के साथ तय की थी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से इस महंगाई में शादी के खर्च को लेकर पिता बैजनाथ व मां सरस्वती देवी चितित रहते थे। सामूहिक विवाह की खबर अखबार में प्रकाशित होने के बाद पिता ने पंजीकरण करवाया। बिना किसी खर्च के मुफ्त में शादी हो गई। मुफ्त में जेवर सहित कई सामान भी मिले। इससे उसे इतनी खुशी मिली है कि शब्दों में बयां नहीं कर सकती। गरीबों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है यह योजना कुसुम्हा गांव की साधुरी ने कहा कि उनके पिता सुक्खू ने उनकी शादी मनैतापुर गांव के संतोष पुत्र रामअवध से तय की थी। माता-पिता आर्थिक कठिनाइयों के बीच शादी की तैयारी कर रहे थे। जब उन्हें इस योजना के बारे में पता चला तो उन्होंने पंजीकरण करवाया। इससे बिना किसी खर्च के शादी हो गई। गरीब परिवारों के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं है। दहेज जैसी कुप्रथा से गरीब परिवारों को राहत दे रही है यह योजना आमडांड़ गांव की सोना ने कहा कि उनके पिता ओम प्रकाश ने उनकी शादी सांथा गांव के निवासी रामजीत पुत्र शिव प्रसाद के साथ तय की थी। पिता ओम प्रकाश व मां इसरावती शादी के खर्च को लेकर परेशान रहते थे। पंजीकरण के बाद जब सामूहिक विवाह की तिथि तय होने खबर अखबार के जरिए मिली तो परिवार में खुशी छा गई। यह योजना दहेज जैसी कुप्रथा से गरीब परिवारों को राहत देने का कार्य कर रही है।

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बीच-बीच में गूंजती रही शंख की ध्वनि

गायत्री शक्ति पीठ खलीलाबाद के आचार्य कौशलेश पांडेय, डा. हरिगोविद, पंडित हरिराम मिश्र, रणजीत शर्मा व रामप्यारे लाल ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच जोड़ों का विवाह कराया। बीच-बीच में शंख की आवाज गूंजती रही। प्रत्येक जोड़े पर कुल 51 हजार रुपये हुए खर्च मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत प्रत्येक पंजीकृत जोड़े पर 51 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं। इसमें 35 हजार रुपये नव विवाहिता के बैंक खाते में 35 हजार रुपये भेजा जाता है। वहीं 10 हजार रुपये चांदी के पायजेब व बिछिया आदि पर खर्च किए जाते हैं। जबकि छह हजार रुपये नाश्ता, भोजन अन्य व्यवस्था पर खर्च किए जाते हैं।


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