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छह महीने में कुपोषण से मुक्‍त हो जाएंगे इस जिले के 170 गांव

जिले के 170 गांवों को पूरी तरह से कुपोषण मुक्त कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने यह जिम्मेदारी बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) एवं मुख्य सेविकाओं को दी है। उन्हें दो-दो गांव चिन्हित कर छह महीने के भीतर उसे कुपोषण से मुक्त करना होगा।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sat, 14 Aug 2021 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 14 Aug 2021 06:45 AM (IST)
छह महीने में कुपोषण से मुक्‍त हो जाएंगे इस जिले के 170 गांव
कुपोषण से मुक्‍त होंगे गोरखपुर के 170 गांव। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : छह महीने के भीतर जिले के 170 गांवों को पूरी तरह से कुपोषण मुक्त कर दिया जाएगा। जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने यह जिम्मेदारी बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) एवं मुख्य सेविकाओं को दी है। उन्हें दो-दो गांव चिन्हित कर छह महीने के भीतर उसे कुपोषण से मुक्त करना होगा। जिले में 12 सीडीपीओ हैं और आठ ब्लाकों में अतिरिक्त चार्ज है। मुख्य सेविका की संख्या 65 है। छह माह बाद इन गांवों की समीक्षा की जाएगी। इस समय जिले में करीब 7300 बच्चे कुपोषित हैं। राज्य पोषण मिशन/पोषण अभियान की मासिक समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी ने यह निर्देश दिए।

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डीएम ने दी हिदायत, नहीं बंद होना चाहिए कोई भी आंगनबाड़ी केंद्र

जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी कि कोई भी आंगनबाड़ी केंद्र बंद नहीं होना चाहिए। गांवों में आकस्मिक निरीक्षण के दौरान यदि आंगनबाड़ी केंद्र बंद पाया जाएगा तो संबंधित के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी को गांव स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा के बीच समन्वय ठीक कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

एक महीने में तीन वर्ग में करना होगा सीडीपीओ एवं मुख्‍य सेविकाओं को काम

एक महीने के भीतर सीडीपीओ एवं मुख्य सेविकाओं को तीन वर्ग में काम करना होगा। पहले यह बताना होगा कि गांव में कुपोषण कम करने के लिए किन उपायों को लागू किया जाए। दूसरे में अनुश्रवण की व्यवस्था होगी जबकि तीसरा व्यवहार परिवर्तन से जुड़ा होगा। गांवों को कुपोषण से मुक्त बनाने के लिए 10 प्रभावी उपाय किए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

1. शिशु के जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत, 2. शिशु को जन्म से छह माह तक केवल मां का दूध, 3. छह माह के बाद मां के दूध के साथ ऊपरी पोषक आहार की शुरूआत, आहार को बढ़ती आयु के साथ बढ़ाना, गरिष्ठता एवं गुणवत्ता का ध्यान रखना तथा मां का दूध दो वर्षों तक जारी रखना, 4. बच्चों को विटामिन ए, आयरन, जिंक/ओआरएस, आयोडीन से आच्छादित करना ताकि उनकी प्रतिरक्षण क्षमता बनी रहे, 5. बीमारियों से बचाव के लिए साफ-सफाई, 6. सफाई से संबंधित व्यवहार, 7. बीमार बच्चों की देखभाल, 8. अति कुपोषित बच्चों की समय पहचान एवं प्रबंधन, 9. किशोरियों में एनेमिया की रोकथाम, पोषण व स्वास्थ्य स्थिति में सुधार एवं 10. गर्भवती महिलाओं में एनेमिया रोकथाम व सही देखभाल।

गांवों में की जाए खुली बैठक

जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि एक महीने के भीतर सीडीपीओ एवं मुख्य सेविकाएं 20-20 गांव में अपनी अध्यक्षता में खुली बैठक करें। इसमें प्रधान, ग्रामीणों तथा आशा एवं एएनएम को शामिल किया जाए। बैठक में कुपोषण से बचने के लिए अपनाए जाने वाले उपायों की जानकारी दी जाए।

जिले के सभी गांवों को बनाया जाएगा कुपोषण मुक्‍त

जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कहा कि जिले के सभी गांवों को कुपोषण मुक्त बनाया जाएगा। सभी सीडीपीओ एवं मुख्य सेविका को छह माह के भीतर दो-दो गांव को कुपोषण मुक्त करने की जिम्मेदारी दी गई है। निर्धारित समय के बाद इसकी समीक्षा भी की जाएगी।


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