गोरखपुर मंडल में 13703 हेक्टेयर गन्ना सूखने के कगार पर, बचाव के लिए सेवरही व शाहजहांपुर के वैज्ञानिकों से संपर्क
अधिक उत्पादन व परता की चाह में अधिकांश किसान गन्ने की प्रजाति को0238 बोते हैं लेकिन खेतों में जलभराव के चलते इस प्रजाति में रेड राट रोग लग गया। किसानों को चाहिए कि जलभराव वाले खेतों में को0238 प्रजाति की बोआई न करें।
जितेंद्र पांडेय, गोरखपुर। गोरखपुर मंडल में 120911.13 हेक्टेयर में गन्ने की फसल बोयी गई है। 13703 हेक्टेयर से अधिक फसल विभिन्न रोगों के चलते सूखने के कगार पर है। इसमें से 2100 हेक्टेयर पर रेड-राट (काना रोग) का खतरा है। किसानों को राहत मिले, इसके लिए गन्ना विभाग ने सेवरही व शाहजहांपुर के वैज्ञानिकों से संपर्क साधा है।
रोग व जल भराव से प्रभावित गन्ना(क्षेत्रफल हेक्टेयर में)
जिला रेड-राट उकठा रोग पोक्का बोइंग जलजमाव
गोरखपुर 73 154 0 372
महराजगंज 53 217 14 863
कुशीनगर 1200 530 0 7500
देवरिया 774.5 404.64 26 1521.86
इस प्रजाति में लगता है रोग
अधिक उत्पादन व परता की चाह में अधिकांश किसान गन्ने की प्रजाति को0238 बोते हैं, लेकिन खेतों में जलभराव के चलते इस प्रजाति में रेड राट रोग लग गया। गन्ना किसान संस्थान, प्रशिक्षण केंद्र पिपराइच के सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता का कहना है कि यह रोग कोलेटो ट्राइकम हल्केटम नामक फफूंद द्वारा लगता है। लगातार अधिक वर्षा होने के कारण अधिकांश खेतों में पानी लगा हुआ है, जो इस रोग को फैलाने में सहायक हो रहा है। गन्ना फसल को बोआई से कटाई तक औसतन 900 से 1000 मिलीमीटर पानी की आवश्यकता होती है। वर्तमान में 1200 से 1400 मिलीमीटर वर्षा हुई है।
जलभराव वाले क्षेत्रों में न करें को0238 की बोआई
किसान जलभराव वाले खेतों में को0238 प्रजाति की बोआई न करें। जिस पौधे में रोग लगा है, उसकी पेड़ी भी न लें। जलभराव वाले क्षेत्रों के लिए गन्ने की विभिन्न प्रजातियां यूपी 9530, कोसे 96436 तथा कोशा 10239 स्वीकृत की गई हैं। जिस खेत में पानी नहीं लगता है, वहां के लिए स्वीकृत गन्ना प्रजाति कोसा 13235, कोशा 8272, कोशा 96268, कोशा 8279, कोसे 8452, कोसे 11453 की बोआई करें।
यह सावधानियां बरतें
पौधे पर रेड-राट का प्रभाव दिखे तो उसे काटकर नष्ट कर दें। शेष फसल पर कारबेंडियम, थियोफैनेटेमेथाईल आदि का प्रयोग प्रत्येक माह के अंतराल पर करें। पौधशालाओं में स्वस्थ सिंगिल बड से गन्ना बीज पैदा करें। अन्य प्रदेश के गन्ने को बिना वैज्ञानिक संस्तुति के प्रयोग में न लाएं। रेड-राट प्रभावित क्षेत्रों में केवल शरदकालीन गन्ने की बोआई करें। गन्ना विभाग की उपायुक्त उषा पाल का कहना है कि वैज्ञानिकों से संपर्क साधा गया है। फील्ड स्टाफ ब्लीचिंग पाउडर आदि के जरिए फसल को बचाने में जुटे हुए हैं। मुख्यालय को इसकी रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। वहां वैज्ञानिक आकर सर्वे करेंगे। उसके बाद देखा जाएगा कि क्या मदद की जा सकती है। कुशीनगर सहित कुछ जिलों में वैज्ञानिक दौरा कर चुके हैं, गोरखपुर में अभी वैज्ञानिकों की विजिट नहीं हुई है।