Flood in Gorakhpur: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगाई गईं स्वास्थ्य विभाग की 11 टीमें
नदियों के घटते जलस्तर के साथ ही संक्रामक बीमारियां शुरू हो जाती हैं। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 86 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं। चौकियों पर 206 स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। स्वास्थ्य विभाग की 11 टीमें बाढग़्रस्त क्षेत्रों में मरीजों का इलाज करने के लिए लगाई गई हैं। मंझरियां गांव में जाने के लिए टीम को नाव का सहारा लेना पड़ा। 595 लोगों का इलाज किया गया। उन्हें दवाएं दी गईं। 6260 क्लोरीन की गोलियां बांटी गईं। 499 ओआरएस के पैकेट वितरित किए गए। अब तक 17105 लोगों का इलाज हुआ है तथा 164631 क्लोरीन की गोलियां व 12068 ओआरएस के पैकेट वितरित किए जा चुके हैं।
नदियों जलस्तर घटते ही शुरू हुईं संक्रामक बीमारियां
नदियों के घटते जलस्तर के साथ ही संक्रामक बीमारियां शुरू हो जाती हैं। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है। गत दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था। उन्होंने विशेष कैंप लगाने का निर्देश दिया था। इसी क्रम में टीमों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया था। बाढ़ को देखते हुए 84 टीमों का गठन किया गया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 86 बाढ़ चौकियां बनाई गई हैं। चौकियों पर 206 स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।
डेंगू से बचाव के निर्देश
सीएमओ डा.सुधाकर पांडेय ने बताया कि टीमों को डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस से बचाव पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है। समय से जांच हो रही है, लोगों का इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता का ही परिणाम है कि अभी तक जिले में डेंगू व जापानी इंसेफ्लाइटिस का एक भी मरीज नहीं मिला है।
सड़क पर परिवार, घर में नागराज
जोगिया बांध टूटने से दर्जनों परिवार सड़क पर रहने को मजबूर हैं। सोमवार को पोलियोग्रस्त बेटे को चारपाई पर लादकर सुरक्षित स्थान की तलाश में जा रहे चौरीचौरा क्षेत्र के उपधौलिया निवासी अशोक ने बताया कि घर में बाढ़ का पानी घुसने के कारण तीन दिन से पूरा परिवार छत पर रह रहा था। कल एक साथ पांच बिसैले सांपों को घर में घुसते हुए देखा तो पत्नी और तीन बेटियों के साथ गांव से बाहर निकल आया। अब तक शासन-प्रशासन या किसी जनप्रतिनिधि से कोई मदद नहीं मिली है। जयरामकोल की मीना ने बताया कि बाढ़ में मकान गिर गया, जिसमें नाद, बिस्तर सहित सारा सामान दब गया। छह बच्चों और मानसिक बीमार पति साथ बंधे पर जीवन यापन कर रही हूं। मांगने पर जो कुछ मिल जाता है, खाकर जैसे तैसे पेट भर रहे हैं। अभी तक कोई हालचाल लेने नहीं आया।
बाढ़ में बह गए कुम्हारों के अरमान
कोरोना काल से ही आर्थिक तंगी का सामना करने वाले कुम्हारों के बचे अरमान बाढ़ में बह गए। कैम्पियरगंज इलाके में 60 से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इसमें आधा दर्जन गांव में कुम्हारों को बर्तन बनाने के लिए मिट्टी नहीं मिल रही है। धनहिया, लालपुर, गुलरिहा, भगवानपुर आदि गांव के कुम्हार रामनरेश, हरिराम, सुखदेव, हरदेव, रमई, लौटू ने बताया कि वह कुल्हड़, दीया, कोसा, कलश, गगरी, सुराही आदि बनाने के लिए सिकंदरा ताल व कलान नाले से मिट्टी लाते हैं। बाढ़ के चलते मिट्टी नहीं मिल रही है, जिससे उनका काम बंद है। पहले कोरोना काल में उनका परिवार प्रभावित हुआ अब बाढ़ ने तबाह कर दिया है।
राहत सामग्री नहीं मिलने से ग्रामीणों में गुस्सा
बेलीपार में राहत सामग्री न पहुंचने से नाराज ग्रामीणों ने डवरपार सहकारी समिति पर चौपाल लगाकर गुस्से का इजहार किया। परशुराम, रामनरेश, अमरावती, चन्द्रावती, संगीता आदि ने कहा कि चंदौली बुजुर्ग, चंदौली खुर्द, कुसमौल, भस्मा, नाउरदेउर आदि गांव पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूब गए हैं, लेकिन उन्हें बाढ़ प्रभावित घोषित नहीं किया गया है। एसडीएम के आश्वासन के बावजूद अब तक राहत सामग्री वितरित नहीं की गई। भारतीय किसान यूनियन (हरपाल गुट) के मंडल अध्यक्ष लक्ष्मीचन्द शुक्ला व जिलाध्यक्ष श्रीचंद शुक्ल ने कहा कि अगर जल्द मदद नहीं पहुंची तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।