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गोरखपुर में देसी गायों की संख्‍या बढ़ाने के लिए 100 गांव चयनित, इस नस्‍ल की गायों को पालने पर होगा जाेर Gorakhpur News

अगले साल मार्च तक 20 हजार गायों का गर्भाधान करना है। दो माह के भीतर दो हजार गर्भाधान हो चुके हैं। सौ गांव में अभियान चलाने की जिम्मेदारी 50 पशु चिकित्सालयों को दी गई है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Tue, 24 Dec 2019 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 24 Dec 2019 03:00 PM (IST)
गोरखपुर में देसी गायों की संख्‍या बढ़ाने के लिए 100 गांव चयनित, इस नस्‍ल की गायों को पालने पर होगा जाेर Gorakhpur News
गोरखपुर में देसी गायों की संख्‍या बढ़ाने के लिए 100 गांव चयनित, इस नस्‍ल की गायों को पालने पर होगा जाेर Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। साहीवाल, खरपारकर, गिर, हरियाणवी जैसी देसी नस्ल की गायों का कुनबा बढ़ाया जाएगा। यह काम राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत होगा। इसके लिए 100 गांव चयनित किए गए हैं। निशुल्क गर्भाधान अभियान चलाकर देसी गायों की उन्नतशील नस्लों के साथ दुग्ध उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

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हर पशु अस्‍पताल के डाक्‍टर दो गांवों में करेंगे काम

अगले साल मार्च तक 20 हजार गायों का गर्भाधान करना है। दो माह के भीतर दो हजार गर्भाधान हो चुके हैं। सौ गांव में अभियान चलाने की जिम्मेदारी 50 पशु चिकित्सालयों को दी गई है। हर अस्पताल दो गांव में काम करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि देसी नस्ल की गायें ज्यादा दूध तो देती ही हैं इनके बछड़े भी उपयोगी होते हैं। गोबर से मोबाइल विकिरण के प्रभाव को कम करने के लिए विकिरण रोधी चिप तैयार किए जा सकते हैं। गोमूत्र से मधुमेह ही नहीं स्टेज चार का कैंसर भी ठीक हो सकता है। गोबर के दीये, अगरबत्ती और प्रतिमाओं की मांग भी तेजी से बढ़ी है।

इन गायों की है ये विशेषता

देसी गायों में सर्वाधिक दूध देने वाली कुछ गायों में साहीवाल है जो 15 से 20 लीटर दूध देती है।  इसी तरह से खरपारकर नस्‍ल की गाय 12 से 14 लीटर,  गिर नस्‍ल की गाय 20 से 25 लीटर और हरियाणवी नस्‍ल की गाय आठ से 10 लीटर दूध देती है।

देसी गायों की नस्‍ल बढ़ाने के लिए चल रहा अभियान

इस संबंध में मुख्‍य पशु चिकित्‍साधिकारी डा. देवेन्‍द्र कुमार शर्मा का कहना है कि देसी गायों की नस्ल बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इससे दूध का उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही गोबर और गोमूत्र का भी प्रयोग किसान अन्य कार्यों में कर सकते हैं। 


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