Move to Jagran APP

कुशीनगर की मस्जिद में रखा था 10 किलो बारूद, इस कारण से हुआ विस्‍फोट Gorakhpur News

कुशीनगर में मस्जिम में हुए विस्‍फोट की परत दर परत खुल रही है। जांच में पता चला है कि मसिजद में दस किलो बारूद रखा था।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 12:42 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 10:03 AM (IST)
कुशीनगर की मस्जिद में रखा था 10 किलो बारूद, इस कारण से हुआ विस्‍फोट Gorakhpur News
कुशीनगर की मस्जिद में रखा था 10 किलो बारूद, इस कारण से हुआ विस्‍फोट Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। कुशीनगर में मस्जिद में हुए विस्फोट मामले में जांच एजेंसियों की रिपोर्ट परत दर परत खोल रही है। बम निरोधक दस्ते की रिपोर्ट के अनुसार धूप व बंद कमरे में बनी गैस के कारण बारुद में विस्‍फोट हो गया। दस्ते ने इस बात पर बल दिया है कि जिस कमरे में बारूद था। वहां दिन में सूरज की सीधी रोशनी पड़ती है।

loksabha election banner

विस्‍फोटक पर पड़ रही सूरज की सीधी रोशनी

दूसरी ओर वह कमरा अक्सर बंद रहता था। बंद कमरे में सूरज की रोशनी पड़ने से बनी गैस के चलते ही यह विस्फोट हुआ है। उस कमरे में दूसरी कोई ऐसी वस्तु या ज्वलनशील पदार्थ नहीं मिला, जिससे विस्फोट हो सके। एसपी विनोद कुमार मिश्र ने भी इसकी पुष्टि की है। बारूद की बोरी छत की कुंडी में लटकी हुई थी।

हाजी ने दी थी काली मंदिर को उड़ाने की धमकी

मस्जिद में विस्फोट मामले में मुख्य आरोपित कुतुबुद्दीन ने करीब एक साल पहले उसने गांव स्थित प्राचीन काली मंदिर को उड़ाने तक की धमकी दे दी थी। दरअसल, मस्जिद के ठीक सामने प्राचीन काली मंदिर है। कुतुबुद्दीन उस मंदिर को हटाकर कहीं अन्यत्र बनाने का दवाब बना रहा था। एक साल पहले गांव के लोग जब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके इस मंदिर की मरम्मत करा रहे थे तो उसने इसका विरोध करते हुए कहा था कि अगर मंदिर को कहीं और नहीं ले गए तो वह उसे उड़ा देगा।

हाजी का विवादों से है पुराना नाता

हाजी कुतुबुद्दीन की गांव में दबंगई की चर्चा है। पुलिस की प्रारंभिक जांच में हाजी के पास कुशीनगर, मऊ व गोरखपुर में काफी संपत्ति होने की बात सामने आ रही है। गांव में वह एक आलीशान मकान भी बनवा रहा है। ऐसे में विदेशी फंडिग की भी बात उठ रही है। उसकी वजह से गांव में पूर्व में हुए विवादों से निपटने में पुलिस और प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। विस्फोट की घटना ने फिर एक बार इस गांव का नाम चर्चा में ला दिया है। जून 2011 को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने के लिए रखी गयी मूíतयों में लक्ष्मी और हनुमान की मूíत को क्षतिग्रस्त कर देने से गांव में दोनों संप्रदाय आमने-सामने आ गए थे। अगस्त 2014 को एक लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में भी स्थिति संवेदनशील हो गई थी।

अप्रैल महीने में ही मस्जिद में रखी गई थी बारूद

एटीएस के साथ आइबी व अन्य सुरक्षा एजेंसियां अलग-अलग जानकारी जुटा रहीं हैं। मौलाना अजमुद्दीन उर्फ अजीम से पूछताछ में ऐजेंसियों को पता चला है कि अप्रैल महीने में ही विस्फोटक सामग्री बाहर से लाई गई थी। मस्जिद में बारूद रखने का मकसद क्या था, इसकी जांच एटीएस सहित दूसरी एजेंसियां कर रहीं हैं। मौलाना से पूछताछ में एटीएस को कई अन्य जानकारियां मिलने की भी बात सामने आ रही हैं, लेकिन इसे लेकर जिम्मेदार अफसर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। अब तक की छानबीन में पता चला है कि मस्जिद में रखे गए बारूद की मात्रा लगभग आठ से दस किलोग्राम थी। बारूद को जिस कमरे में रखा गया था, उसमें फर्श नहीं है। जांच एजेंसियां भी यह मान रहीं कि लगभग 10 किलोग्राम बारूद से काफी तबाही मच सकती थी। बारूद की क्षमता की सटीक जानकारी फोरेंसिक टीम की रिपोर्ट मिलने के बाद ही होगी। मस्जिद में बारूद रखने का ताना-बाना हाजी कुतुबुद्दीन व मौलाना अजमुद्दीन ने बुना था। बारूद रखवाते समय हाजी ने युवकों से कहा था कि जल्द ही बड़ा काम होने वाला है।

चारो आरोपित भेजे गए जेल

एटीएस, आइबी व एलआइयू की पूछताछ के बाद गिरफ्तार मौलाना अजमुद्दीन उर्फ अजीम, इजहार अंसारी, आशिक अंसारी व जावेद अंसारी को पुलिस ने अदालत में पेश किया। अदालत के आदेश पर सभी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।

सेना के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कर्मी की भूमिका पर उठे सवाल

मस्जिद में विस्फोट मामले में हाजी कुतुबुद्दीन के नाती अशफाक की भी भूमिका उजागर हुई है। अशफाक व उसकी पत्नी सेना में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हंै। उनकी तैनाती इन दिनों हैदराबाद में है। विस्फोट के समय वह गांव में था। विस्फोट के बाद मस्जिद में पहुंचे अशफाक ने तत्काल साफ-सफाई करा दी थी, ताकि असलियत सामने न आ सके। सुरक्षा एजेंसियों की नजर इस बात पर भी है कि मस्जिद तक बारूद कहीं अशफाक के जरिये तो नहीं लायी गयी थी। उसकी तलाश में पुलिस की एक टीम हैदराबाद भेजी जा रही है। 

छत की कुंडी से टंग कर रखी गई थी बारूद की बोरी

मस्जिद में बारूद बोरी में रखी गई थी। बोरी मस्जिद के एक कमरे के छत की कुंडी से टांगी गई थी। बताया जा रहा है कि कमरे का फाटक अक्सर बंद रहता था। मौलाना व कुतुबुद्दीन के रहने पर ही उस कमरे को खोला जाता था।

इन्होंने रखी मस्जिद में बारूद

मस्जिद में बारूद की बोरी रखने वालों में चार युवकों की भूमिका सामने आई है। चारों युवक इजहार, आशिक, जावेद व मुन्ना उर्फ रियाजुद्दीन निवासी बैरागीपट्टी के निवासी हैं। हाजी कुतुबुद्दीन के कहने पर युवकों ने बारूद की बोरी मस्जिद में पहुंचाई थी।

पश्चिम बंगाल का रहने वाला है मौलाना

लगभग एक दशक पूर्व मस्जिद बनकर तैयार हुई थी। पांच साल पहले गांव के ही लोनिवि में लिपिक पद पर कार्यरत वर्तमान में सेवानिवृत्त हाजी कुतुबुद्दीन ने मस्जिद में पश्चिम बंगाल निवासी मौलाना अजमुद्दीन को बुलाया था। मस्जिद के संचालकों द्वारा मौलाना को छह हजार रुपये मासिक भुगतान किया जाता है। 

आजमगढ़ व मऊ से रहा है हाजी का करीबी रिश्ता

मस्जिद में विस्फोट के पीछे असल किरदार के रूप में सामने आए लोक निर्माण विभाग के रिटायर कर्मचारी हाजी कुतुबुद्दीन का आजमगढ़ व मऊ से करीबी रिश्ता रहा है। नौकरी के दौरान कुतुबुद्दीन का सर्वाधिक समय मऊ में बीता, यही कारण रहा कि वहां बसने के उद्देश्य से उसने मकान भी बनवा ली। गांव आने पर वह नियमित रूप से धाॢमक आयोजन कराता, तकरीर करता और अपने पसंद के धर्मगुरुओं को बुलाता। धार्मिक आयोजनों में आने वाले धर्म गुरु आजमगढ़ व मऊ के ही होते थे। गांव के लोगों के अनुसार अभी एक माह पहले ही गांव में उसने बड़ा धाॢमक आयोजन किया था। जिसमें लगभग आधा दर्जन धर्मगुरु आए थे। आयोजन की अगली सुबह ही गांव के दूसरे वर्ग के लोगों ने आपत्ति जताई थी। आरोप लगाया था कि आयोजन की आड़ में समाज को बांटने की कोशिश की जा रही। हालांकि मामला गांव स्तर तक ही रहा।

कमेटी का अध्यक्ष भी है कुतुबुद्दीन

बैरागीपट्टी निवासी कुतुबुद्दीन का मऊ में भी मकान है। रिटायर होने के बाद वह गांव में कम ही समय व्यतीत करता है। गांव स्थित मस्जिद की गठित कमेटी का वह अध्यक्ष भी है।  

एक दशक पूर्व बनी थी मस्जिद

लगभग एक दशक पूर्व मस्जिद बनकर तैयार हुआ। पांच साल पहले गांव के ही लोनिवि में लिपिक पद पर कार्यरत हाजी कुतुबुद्दीन ने मस्जिद में पश्चिम बंगाल निवासी मौलाना को बुलाया था। मस्जिद के संचालकों द्वारा मौलाना को छह हजार रुपये मासिक भुगतान किया जाता है। 

गांव आने पर नियमित रूप से कराता था तकरीर

विस्फोट के पीछे असल किरदार के रूप में सामने आए लोक निर्माण विभाग के रिटायर कर्मचारी हाजी कुतुबुद्दीन का आजमगढ़ व मऊ से करीबी रिश्ता रहा है। नौकरी के दौरान कुतुबुद्दीन का सर्वाधिक समय मऊ में बीता, यही कारण रहा कि वहां बसने के उद्देश्य से उसने मकान भी बनवा ली। गांव आने पर वह नियमित रूप से धाॢमक आयोजन कराता, तकरीर करता और अपने पसंद के धर्मगुरुओं को बुलाता। धाॢमक आयोजनों में आने वाले धर्म गुरु आजमगढ़ व मऊ के ही होते थे। गांव के लोगों के अनुसार अभी एक माह पहले ही गांव में उसने बड़ा धाॢमक आयोजन किया था। जिसमें लगभग आधा दर्जन धर्मगुरु आए थे। आयोजन की अगली सुबह ही गांव के दूसरे वर्ग के लोगों ने आपत्ति जताई थी। आरोप लगाया था कि आयोजन की आड़ में समाज को बांटने की कोशिश की जा रही। हालांकि मामला गांव स्तर तक ही रहा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.