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गोरखपुर में दो माह में खप गईं कोरोना की 10 करोड़ की दवाएं, सबसे ज्यादा बिकी आइवरमेक्टिन व फेबिफ्लू

कोरोना संक्रमण काल केवल दो माह में गोरखपुर में 10 करोड़ रुपये की दवाएं खा गए। करीब चार करोड़ रुपये की आइवरमेक्टिन व फेबिफ्लू बिक गई। करीब डेढ़ करोड़ रुपये की एचसीक्यू और जिंक व लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये की विटामिन सी की बिक्री हुई।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 08:50 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 08:50 AM (IST)
गोरखपुर में दो माह में खप गईं कोरोना की 10 करोड़ की दवाएं, सबसे ज्यादा बिकी आइवरमेक्टिन व फेबिफ्लू
गोरखपुर में केवल दो माह में कोरोना की दस करोड़ रुपये की दवाएं बिक गईं। - प्रतीकात्मक तस्वीर

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण काल अप्रैल व मई में जिलेवासी 10 करोड़ रुपये की दवाएं खा गए। हालांकि अब स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के नए निर्देश के बाद आइवरमेक्टिन, एचसीक्यू, फेबिफ्लू आदि दवाएं कोरोना इलाज की सूची से बाहर कर दी गई हैं।

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चार करोड़ रुपये की आइवरमेक्टिन व फेबिफ्लू बिकी

केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय उपाध्याय व दवा विक्रेता समिति के महामंत्री आलोक चौरसिया के अनुसार करीब चार करोड़ रुपये की आइवरमेक्टिन व फेबिफ्लू बिक गई। करीब डेढ़ करोड़ रुपये की एचसीक्यू और जिंक व लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये की विटामिन सी की बिक्री हुई। मांग को देखते हुए व्यापारियों ने बड़े पैमाने पर इन दवाओं को मंगा लिया था। कोरोना संक्रमण कमजोर पड़ने पर ये दवाएं फंस गई हैं।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की रोक के बाद अब व्यापारी बेहद चिंतित हो गए हैं। करीब 40 से 50 लाख के आस-पास फेबिफ्लू टेबलेट बाजार में उपलब्ध है। इसके अलावा विटामिन सी भी काफी मात्रा में है। आइवरमेक्टिन के भी अलग-अलग कंपनियों के करीब दो करोड़ टेबलेट मौजूद हैं। इस बीच नए निर्देश के बाद इन दवाओं की बिक्री पर जबरदस्त असर पड़ेगा। लगभग 50 लाख रुपये की रेमडेसिविर भी फंस गई है। कंपनियां भी इसे वापस नहीं ले रही हैं।

रेलवे अस्पताल में बच्चों के लिए अगल से बन रहा 16 बेड का एसी वार्ड

कोरोना के तीसरी लहर की आशंका को लेकर पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन भी सतर्क हो गया है। ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल में बच्चों के लिए अलग से 16 बेड का एसी वार्ड (पीडिया ट्रिक वार्ड) स्थापित किया जाएगा। महाप्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी के निर्देशन में डा. एम नाथ और डा. उमेश की देखरेख में वार्ड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार पीडियाट्रिक वार्ड में पांच आइसीयू वार्ड होंगे। पूरा वार्ड वातानुकूलित होगा। बच्चों के इलाज के लिए अभी से चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। संक्रमित के स्वजन की सुविधा के लिए हेल्प डेस्क भी स्थापित की गई है। ताकि, भर्ती मरीज के संबंध में जानकारी मिलती रहे। उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में रेलवे अस्पताल के कोविड सेंटर में 288 संक्रमित लोगों का उपचार किया गया है। अभी भी दो संक्रमितों का इलाज चल रहा है।

जांच में निगेटिव होने के बाद भी लक्षण मिलने वाले मरीजों को अलग वार्ड में भर्ती व इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। अस्पताल में अलग से पोस्ट कोविड वार्ड भी तैयार किया गया है। जिसमें कर्मचारियों का इलाज चल रहा है। कोविड वार्ड से डिस्चार्ज होने के बाद निगेटिव रोगियों को पूरी तरह से ठीक होने तक पोस्ट कोविड वार्ड में ही रखा जा रहा है। वरिष्ठ नर्सिंग अधीक्षक सुरेंद्र और उनकी टीम बेहतर समन्वय स्थापित कर रेलवे अस्पताल में संक्रमितों का समुचित इलाज कर रही है।

महिला अस्पताल में 50 बेड का वार्ड व आक्सीजन प्लांट लगाएगा एसबीआइ

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छी पहल की है। एसबीआइ जिला महिला अस्पताल में 50 बेड का आधुनिक वार्ड बनाएगा, जिसमें चार बेड का आइसीयू होगा। साथ ही वहां एक आक्सीजन प्लांट भी लगाएगा, ताकि आक्सीजन की कमी न होने पाए। इसे लेकर मंगलवार को एसबीआइ के मैनेजर राम आधार, सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय से मिले। उन्होंने सीएमओ के साथ जिला महिला अस्पताल का निरीक्षण किया। माड्यूलर ओटी के पास बने चार कमरों में 50 बेड का वार्ड संचालित करने पर सहमति बनी। एसबीआइ प्रबंधन ने इसके लिए अस्पताल प्रशासन से लागत सहित प्रस्ताव मांगा है। इसकी तस्दीक प्रबंधक राम आधार ने की।


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