कोरोना के भय से अपने छोड़ रहे साथ, युवाओं ने बढ़ाए हाथ
- लावारिस शव के संस्कार को घाट पर बैठते हैं युवा जरूरतमंदों की करते हैं मदद अजय पां
- लावारिस शव के संस्कार को घाट पर बैठते हैं युवा, जरूरतमंदों की करते हैं मदद
अजय पांडेय, गोंडा : उप्र व बिहार में गंगा नदी में शवों के फेंकने को लेकर जहां चर्चा हो रही है वहीं यहां के युवाओं की टोली लावारिस शवों को कांधा देकर मरघट पर अंतिम संस्कार कर रही है। जो जिले में ही नहीं, वरन दूसरे जिलों के युवाओं के लिए नजीर बन गई है।
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर स्थित हलधरमऊ के युवा मुहम्मद सुफियान खान व गुलाम वारिस खान ने मिलकर हलधरमऊ फाउंडेशन बनाया है। इस फाउंडेशन में हिदू-मुसलमान शामिल हैं। वह हर रोज कर्नलगंज के कटराघाट स्थित सरयू नदी पर बैठते हैं। यहां आने वाले शवों का विधिवत अंतिम संस्कार कराते हैं। यही नहीं, लावारिस शवों का स्वयं के खर्च से अंतिम संस्कार करते हैं। घाट पर युवाओं द्वारा बैनर लगवाया गया है। इस पर फोन नंबर अंकित है। जरूरतमंद नंबर पर कॉल कर मदद लेते हैं। अब तक चार से पांच शवों का अंतिम संस्कार कराने की बात कह रहे हैं।
ऐसे मिली प्रेरणा
- गुलाम वारिस खान बताते हैं कि कोरोना से मौत होने पर सामान्य तौर पर सामाजिक सहयोग कम मिलता है। ऐसे में कई लोगों को परेशानी होती है। इधर नदी में शव मिलने की घटना सुनने के बाद मन और भी व्यथित हुआ। पूर्व में साथियों के साथ मिलकर लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने का कार्य किया जा रहा था। घाट पर ऐसे लोग आते हैं, जिनके साथ पर्याप्त संख्या में लोग नहीं रहते हैं। उनकी मदद भी की जाती है।
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होम आइसोलेशन वाले मरीजों को 10 दिनों तक भरना होगा निगरानी चार्ट
गोंडा: कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को अधिक सतर्क रहने की निरंतर सलाह दी जा रही है. कोरोना की पहली लहर की तुलना में इस बार अधिक लोग अस्पतालों तक पहुंच भी रहे हैं, लेकिन हल्के या बिना लक्षण वाले कोविड मरीज घर पर रहकर भी स्वस्थ हो सकते हैं। इसको लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने होम आईसोलेशन के नियमों में बदलाव करते हुए संशोधित गाइडलाइन जारी की है. यह बात कोविड-19 के नोडल अधिकारी डिप्टी सीएमओ डॉ. मनोज कुमार ने कही। उन्होंने बताया कि गाइडलाइन में सभी कोविड मरीजों को होम आईसोलेशन में रहने की सलाह नहीं दी गई है. कम प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को होम आईसोलेशन में नहीं रहने की सलाह दी गई है. सीएमओ डॉ. राधेश्याम केसरी ने बताया कि होम आइसोलेट मरीजों को 10 दिनों तक निगरानी चार्ट भरने को कहा गया है। प्रत्येक दिन के शरीर के तापमान, हृदय गति एवं ऑक्सीजन के स्तर को भरें।
इन परिस्थितियों में लें डॉक्टर की सलाह
-सांस लेने में तकलीफ होने पर
-ऑक्सीजन का स्तर 94 से कम होने पर
-छाती में लगातार दर्द का बने रहना या अचानक बढ़ जाना
-मानसिक रूप से अधिक परेशान होने पर