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विधायक बनने के बाद भी सर्राफ की दुकान पर करते थे नौकरी

कटरा बाजार (गोंडा) सियासत का मैदान तैयार है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 11:01 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 11:01 PM (IST)
विधायक बनने के बाद भी सर्राफ की दुकान पर करते थे नौकरी
विधायक बनने के बाद भी सर्राफ की दुकान पर करते थे नौकरी

एसपी तिवारी, कटरा बाजार, (गोंडा) : सियासत का मैदान तैयार है। हर नेता चुनावी मैदान में अपना दमखम दिखाने को रात दिन एक कर रहा है। इन सबके बीच राजनीतिक इतिहास में कुछ ऐसे नाम है, जो आज के नेताओं के सामने किसी नजीर से कम नहीं है। कटरा बाजार विधानसभा से विधायक बनने के बाद भी मुरलीधर द्विवेदी कर्नलगंज स्थित सर्राफ की दुकान पर नौकरी करते थे। इस कारण से जनता उन्हें मुनीमजी के नाम से पुकारती थी।

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हलधरमऊ ब्लाक के नहवा परसौरा गांव निवासी मुरलीधर द्विवेदी का परिवार गरीब था। वह कर्नलगंज में एक सर्राफ की दुकान में नौकरी करते थे। उसी दौरान उन्हें सरपंच चुना गया। इसके बाद वह ब्लाक प्रमुख चुने गए। वर्ष 1980 में कांग्रेस ने उन्हें पार्टी का उम्मीदवार बनाया।उस वक्त उनके पास चुनाव लड़ने का कोई संसाधन नहीं था। ऐसे में उन्होंने गांव के प्रतिष्ठित लोगों के साथ बैठक की। इसमें चर्चा की गई। कहा कि ई बताओ कि का हम विधायक बनि सकित हय। इस पर लोगों ने कहा कि चलो मेहनत शुरू किया जाए, आप विधायक बन सकत हव। बस इसके बाद उन्होंने ब्लाक स्तर पर साइकिल व बैलगाड़ी की टोली बनाई और प्रचार शुरू किया।

उनके बेटे डा. श्रीधर बताते हैं कि जब वह प्रचार करने साइकिल से जाते थे, तो 5 दिन के बाद घर वापस आते थे। जहां पर भी प्रचार करने जाते थे, वहीं गांव में भौरी भरता लगवाते थे। बाद में सभी एक साथ पत्तल में खाना खाते थे। गांव वालों से चारपाई मांग कर वहीं पर सोते थे। रात 11 बजे तक प्रचार करते थे। इसके बाद वह कई बार चुनाव लड़े। जीत भी हासिल की।

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छोड़ दिया था पान खाना

- विधायक बनने के बाद उन्होंने यह भी शपथ लिया कि वह अब पान नहीं खाएंगे। दरअसल, उस समय बहुत लोग काम कराने के नाम पर पान की पुड़िया लेकर आने लगे थे। इसलिए उन्होंने पान खाना छोड़ दिया। 1989 के चुनाव में किराए पर जीप लेकर प्रचार किया। उस समय झंडा बैनर पर्याप्त नहीं था। गांव में पहुंचते ही छोटे बच्चे बिल्ला के लिए दौड़ते थे , इस पर वह कहते थे की बेटा यह बिल्ला बड़ों के लिए हैं। वह अपने कार्यकर्ताओं को इस बात के लिए ताकीद करते थे कि जिस गांव में जाओ वहां सब की समस्या व बात नोट करते रहो। चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले उनसे मिलों और उनका काम कराओ।


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