सियासत में कुम्हला रही खेल की नर्सरी
गोंडा कोच न मैदान दम तोड़ रहे खिलाड़ियों के अरमान जिले में सिर्फ एक स्टेडियम एक का निर्माण अधूरा।
गोंडा : खेल के प्रति लोगों में रुचि भी और गांव में खेल प्रतिभाएं भी, लेकिन उन्हें न तो मंच मिल पा रहा है और न ही सुविधाएं। जिस क्षेत्र में स्टेडियम है, वहां कोच नहीं है। स्टेडियम का निर्माण अधूरा है तो कहीं अभी तक स्वीकृति नहीं मिली। सियासी भंवर में फंसी सुविधाएं खिलाड़ियों के अरमान तोड़ रही हैं। गांवों में खेल मैदान विकसित करने की योजना भी धराशाई हो गई। जिले की दो तहसीलों मे खेल के लिए अभी तक स्टेडियम की व्यवस्था नहीं हो सकी है। पेश है वरुण यादव की रिपोर्ट : इनसेट
शहर में नहीं बन सका इंडोर स्टेडियम - नवाबगंज के नंदिनीनगर में वर्ष 2018 में पांच करोड़ रुपये की लागत से इंडोर स्टेडियम के निर्माण की स्वीकृति मिली थी। अभी स्टेडियम का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। यहां कुश्ती सहित अन्य खेलों के लिए ट्रेनिग मिलेगी। उधर, जिला मुख्यालय पर शहर में नगर पालिका ने कई वर्ष पूर्व इंडोर स्टेडियम के लिए युवा कल्याण विभाग को जमीन उपलब्ध कराई थी, लेकिन अभी तक न तो अभी तक स्वीकृति मिली और न ही स्टेडियम का निर्माण हुआ। कई खेलों के नहीं हैं कोच
- मंडल मुख्यालय पर शहर के उतरौला रोड स्थित जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में इस वर्ष सिर्फ हाकी, हैंडबाल व ताइक्वांडो खेल के लिए स्वीकृति मिली है। यहां फुटबाल, कबड्डी, वालीबाल, बास्केटबाल व टेनिस के कोच नहीं है।
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बिना कोच कैसे मिले ज्ञान, टूट रहे अरमान - शहर के मेवातियान मुहल्ले की आंचल का कहना है कि उन्हें खो-खो का खेल काफी पसंद है। स्टेडियम में प्रशिक्षक न होने से उन्हें इस खेल के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिल पा रही है। आंचल स्कूल में अपने दोस्तों के साथ खो-खो खेलती हैं। आदित्य दुबे हारीपुर स्थित नर्सिंग कालेज में रहकर पढ़ाई करते हैं। उनका सपना फुटबाल खिलाड़ी बनने का है, लेकिन स्टेडियम में प्रशिक्षक न होने से उनकी उम्मीदें टूट रही हैं। बैडमिटन खिलाड़ी अजलान अहमद ने बताया कि बीते कई वर्ष से स्टेडियम का बैडमिटन हाल ना ठीक होने के कारण ना तो वह बैडमिटन खेल पाए और ना ही किसी तरीके की प्रतियोगिताएं आयोजित हो सकी। नगर के अवधेश शुक्ल का कहना है कि अभी कई खेल के कोच नहीं हैं।