सावधान, अनफिट बसों से सफर कर रहे 'लाडले'
गोंडा : अगर आप अपने बच्चे के स्कूल भेजने व वापस लाने में स्कूली वाहन की मदद ले रहे हैं। तो य
गोंडा : अगर आप अपने बच्चे के स्कूल भेजने व वापस लाने में स्कूली वाहन की मदद ले रहे हैं। तो यह खबर आपको सचेत करने के लिए है। दरअसल, आपका लाडला अनफिट गाड़ी से सफर कर रहा है, जिसमें फर्स्ट एड बॉक्स, स्पीड गर्वनर से लेकर जीपीएस सिस्टम व सीसीटीवी कैमरे तक नहीं हैं। स्टेय¨रग भी अनघड़ हाथों में है। चालक वर्दी भी नहीं पहनते हैं, जिससे नौनिहाल उनकी पहचान तक नहीं कर सकते। यह खुलासा रविवार को स्कूली वाहनों की जांच के बाद हुआ है। परिवहन विभाग की पड़ताल में नियमों को दरकिनार कर नौनिहालों की जान से खेल रहे 12 स्कूल संचालक अफसरों के निशाने पर आ गए हैं। इन पर कार्रवाई की कवायद शुरू कर दी गयी है।
दैनिक जागरण ने तीन अप्रैल के अंक में भगवान भरोसे आवागमन कर रहे नौनिहाल शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। जिसमें स्कूली वाहनों का सच सामने लाने का प्रयास किया गया था। इसके बाद जागे परिवहन विभाग के अधिकारियों ने पड़ताल शुरू की। रविवार को संभागीय परिवहन कार्यालय पर स्कूली वाहनों की जांच के लिए शिविर का आयोजन हुआ, जिसमें जिले के भर के करीब एक दर्जन स्कूलों से आई 100 बस व वैन की जांच हुई तो अधिकारियों का माथा ठनक गया। बकौल सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी डॉ. सर्वेश गौतम का कहना है कि यहां नई बसें भी सर्वोच्च न्यायालय व सरकार द्वारा निर्धारित मानक नहीं पूरा कर रही है। एक भी बस व वैन में जीपीएस सिस्टम नहीं लगा मिला। नौनिहाल की सुरक्षा की दुहाई देने वाले प्रबंधक बस के अंदर सीसीटीवी नहीं लगवाए हुए थे। 15 बसों में ही स्पीड गर्वनर लगा था। वहीं फार्स्ट एड बाक्स एक भी में नहीं मिला। कार्यालय में वाहन लेकर आए 14 ड्राइवरों के पास लाइसेंस तक नहीं था। एआरटीओ ने बताया कि मनमानी वाहन चला रहे स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी।
रसूख के दम पर चला रहे वाहन
- अमूमन बच्चों को लेकर सर्तकता बरती जाती है। अभिभावक उम्मीद भी करते हैं कि स्कूल के वाहन में बच्चा सुरक्षित है लेकिन माननीय व रसूखदार नौनिहालों की सुरक्षा को ध्यान में रखने के बजाए पद के गुमान में गाड़ी चलवाते हैं। गाड़ी पकड़े जाने पर अफसरों को शांत करा दिया जाता है। जो छात्रों के लिए घातक साबित हो सकता है।
आप भी करें सवाल
- अगर आप स्कूल की सेवाएं ले रहे हैं तो सुरक्षा को लेकर सवाल करते रहे। वाहनों के फिटनेस व उसमें अन्य जरूरी सामान को लेकर स्कूल प्रबंधन से पूछते रहे। जिससे वह व्यवस्था को बेहतर बनाए रखे।