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फायदा आया नजर, पर्यावरण के महत्व से बेखबर

बरगद पीपल पाकड़ व नीम लगाने में कम हो गई दिलचस्पी राष्ट्रीय वृक्ष होने के साथ ही बरगद का है धार्मिक महत्व

By JagranEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 10:44 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 06:03 AM (IST)
फायदा आया नजर, पर्यावरण के महत्व से बेखबर
फायदा आया नजर, पर्यावरण के महत्व से बेखबर

गोंडा : बरगद भले ही हमें फल न देता हो लेकिन, ये पक्षियों को भोजन के साथ ही रहने का ठिकाना जरूर देता है। राहगीरों को छाया देने के साथ ही इसकी लकड़ियां ईंधन व हवन-पूजन में भी काम आती हैं। बरगद राष्ट्रीय वृक्ष होने के साथ ही हमारी धार्मिक संस्कृति भी संजोये हुए है। कुछ ऐसा ही महत्व पीपल, नीम व पाकड़ का भी है। बावजूद इसके इन पेड़ों के प्रति न सिर्फ किसानों की रुचि कम हुई है, बल्कि अफसर भी बेफिक्र हैं। वन विभाग सिर्फ खुद लगाने के लिए ही आवश्यकतानुसार बरगद व पाकड़ की नर्सरी तैयार करता है। जबकि निजी नर्सरियों में इनकी उपलब्धता थोड़ी ज्यादा है।

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जिले में पौधों की उपलब्धता पर एक नजर

तहसील-04

विकासखंड-16

नगर निकाय-07

ग्राम पंचायत-1054

राजस्व ग्राम-1820

कुल नर्सरी-42

सरकारी नर्सरी-17

स्वयं सहायता समूह की नर्सरी-12

निजी नर्सरी-13

पौधे की उपलब्धता-1.10 करोड़

वन विभाग के पास पौधे-71 लाख

प्रजातिवार पौधे

-10 हजार पौधे जिले में बरगद के उपलब्ध

-05 हजार पौधे जिले में पाकड़ के उपलब्ध

-02 हजार पौधे जिले में पीपल के उपलब्ध

-50 हजार पौधे जिले में नीम के उपलब्ध

-वन विभाग की नर्सरी में करीब 30 हजार पौधे बरगद, पीपल, पाकड़ व नीम के उपलब्ध हैं। ये पौधे हम स्वयं जंगलों व सड़कों के किनारे लगाते हैं। इसके अलावा एक किसान को जरुरत पड़ने पर अधिकतम पांच पौधे देते हैं।

-आरके त्रिपाठी, डीएफओ


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