फायदा आया नजर, पर्यावरण के महत्व से बेखबर
बरगद पीपल पाकड़ व नीम लगाने में कम हो गई दिलचस्पी राष्ट्रीय वृक्ष होने के साथ ही बरगद का है धार्मिक महत्व
गोंडा : बरगद भले ही हमें फल न देता हो लेकिन, ये पक्षियों को भोजन के साथ ही रहने का ठिकाना जरूर देता है। राहगीरों को छाया देने के साथ ही इसकी लकड़ियां ईंधन व हवन-पूजन में भी काम आती हैं। बरगद राष्ट्रीय वृक्ष होने के साथ ही हमारी धार्मिक संस्कृति भी संजोये हुए है। कुछ ऐसा ही महत्व पीपल, नीम व पाकड़ का भी है। बावजूद इसके इन पेड़ों के प्रति न सिर्फ किसानों की रुचि कम हुई है, बल्कि अफसर भी बेफिक्र हैं। वन विभाग सिर्फ खुद लगाने के लिए ही आवश्यकतानुसार बरगद व पाकड़ की नर्सरी तैयार करता है। जबकि निजी नर्सरियों में इनकी उपलब्धता थोड़ी ज्यादा है।
जिले में पौधों की उपलब्धता पर एक नजर
तहसील-04
विकासखंड-16
नगर निकाय-07
ग्राम पंचायत-1054
राजस्व ग्राम-1820
कुल नर्सरी-42
सरकारी नर्सरी-17
स्वयं सहायता समूह की नर्सरी-12
निजी नर्सरी-13
पौधे की उपलब्धता-1.10 करोड़
वन विभाग के पास पौधे-71 लाख
प्रजातिवार पौधे
-10 हजार पौधे जिले में बरगद के उपलब्ध
-05 हजार पौधे जिले में पाकड़ के उपलब्ध
-02 हजार पौधे जिले में पीपल के उपलब्ध
-50 हजार पौधे जिले में नीम के उपलब्ध
-वन विभाग की नर्सरी में करीब 30 हजार पौधे बरगद, पीपल, पाकड़ व नीम के उपलब्ध हैं। ये पौधे हम स्वयं जंगलों व सड़कों के किनारे लगाते हैं। इसके अलावा एक किसान को जरुरत पड़ने पर अधिकतम पांच पौधे देते हैं।
-आरके त्रिपाठी, डीएफओ