पुरुखों के लगाए पौध, फल चख रही चौथी पीढ़ी
युवाओं में कम दिलचस्पी जिम्मेदार पौधे लगाकर गए भूल पौधारोपण के प्रति बढ़ी जागरूकता निगरानी के नहीं हुए इंतजाम
गोंडा : परसपुर निवासी प्रशांत सिंह के परदादा शिव माधव सिंह ने परसपुर-मंगुराबा हजार मार्ग से सटे खेत में करीब 100 वर्ष पूर्व आम के पौध लगाए थे। वह अब नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें बाग देखकर ताजा हो जाती हैं। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास का फल अब भी परिवार को मिल रहा है। बाग में तैयार आम का फल चौथी पीढ़ी खा रही है। बब्लू को इस बात का मलाल है कि वह कोई नया बाग नहीं तैयार कर सके। वहीं, मनकापुर के राम जियावन ने अपने बाबा के लगाए गए सागौन के वृक्षों को कटवाकर घर में दरवाजे लगवाए हैं। ये तो सिर्फ बानगीभर है। किसी ने पेड़ को बेचकर बेटी की शादी की तो किसी ने घर बनवाए। पुरुखों के लगाए हुए पौधे अब भी संतानों के लिए कवच का काम कर रहे हैं। वक्त के साथ बदलते हालात में पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ा है। इसे रोकने के लिए पौधारोपण की मुहिम तो चल रही है, लेकिन पौधों की सुरक्षा को लेकर लोग फिक्रमंद नहीं दिख रहे। युवा पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से अब भी अनजान बनी हुई है। इनसेट
10 प्रतिशत लोगों ने नहीं लगाए एक भी पौध
- स्वस्थ पर्यावरण के लिए पेड़-पौधे होना जरूरी है। हर किसी की जिम्मेदारी है कि वह न सिर्फ हर वर्ष पौधे लगाएं, बल्कि उनकी देखभाल संतान की तरह करें। अभी भी दस प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्होंने जिदगी के 20 वर्ष तो पूरे कर लिए, लेकिन पौधे एक भी नहीं लगाए। 50 प्रतिशत लोगों ने पौधे तो लगाए, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नहीं किए। इससे अधिकांश पौधे नष्ट हो गए। 40 प्रतिशत लोगों ने पौधे तो कम लगाए, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम भी किए। इससे आज भी उनके द्वारा लगाए गए 80 प्रतिशत पौधे जीवित हैं।
सर्वे के आंकड़ों पर एक नजर
200 व्यक्तियों का कराया गया सर्वे
20 व्यक्तियों ने नहीं लगाया एक भी पौधा
45 व्यक्तियों ने लगाए 500 से अधिक पौधे
55 व्यक्तियों ने की 100-150 पौधे की रोपाई
80 व्यक्तियों ने लगाए 10-20 पौधे किस आयु वर्ग के व्यक्तियों में कितनी है रुचि
18-25 वर्ष के युवा में कम दिखी दिलचस्पी
26-35 वर्ष के व्यक्तियों ने 10-20 पौधे लगाए
36-50 वर्ष के व्यक्तियों ने किया 200-300 से पौधे
51 से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों में पेड़-पौधे के प्रति ज्यादा प्रेम