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अब हर साल टूटता है सिचाई विभाग की नाकामियों से बंधा

21.58 करोड़ रुपये से बने तटबंध पर 200 करोड़ से ज्यादा खर्च

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 10:48 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 06:11 AM (IST)
अब हर साल टूटता है सिचाई विभाग की नाकामियों से बंधा
अब हर साल टूटता है सिचाई विभाग की नाकामियों से बंधा

गोंडा : बाढ़ की त्रासदी से गोंडा व बाराबंकी जिले की करीब दो लाख आबादी को बचाने के लिए सिचाई विभाग ने डेढ़ दशक पूर्व करीब 75 किलो मीटर की लंबाई में दो तटबंध (बंधा) बनवाये थे। सकरौर-भिखारीपुर व एल्गिन-चरसडी तटबंध के निर्माण की लागत करीब 21.58 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इन दोनों तटबंधों के निर्माण, मरम्मत व रखरखाव पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। लेकिन, इसके बावजूद ये तटबंध नौ बार टूटे हैं। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो यदि वर्ष 2019 को छोड़ दिया जाय तो 2016 से ये तटबंध लगातार टूट रहे हैं। इसका खामियाजा ग्रामीण भुगतने को विवश होते हैं। जबकि विभागीय अफसर व ठेकेदार मलाई काट रहे हैं। पेश है वरुण यादव की रिपोर्ट :

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इनसेट

कब बना कौन सा तटबंध

- वर्ष 2005-06 में सकरौर-भिखारीपुर व एल्गिन चरसडी तटबंध निर्माण की स्वीकृति मिली थी। 22.600 किलोमीटर लंबे सकरौर-भिखारीपुर तटबंध के लिए सात करोड़ रुपये व 52.400 किलो मीटर एल्गिन-चरसडी तटबंध के लिए 14.58 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। ये तटबंध गोंडा के अलावा बहराइच व बाराबंकी जिले में भी पड़ता है। सकरौर-भिखारीपुर तटबंध बनने में एक वर्ष व एल्गिन-चरसड़ी तटबंध बनने में दो वर्ष का समय लगा।

कब टूटा कौन सा तटबंध

- वर्ष 2007 व 2008 में सकरौर-भिखारीपुर तटबंध, वर्ष 2010 में सकरौर-भिखारीपुर व एल्गिन-चरसड़ी, 2011 में एल्गिन-चरसड़ी, वर्ष 2016 व 2017 में एल्गिन-चरसड़ी, 2018 व 2020 में सकरौर-भिखारीपुर तटबंध टूटा।

हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान

- बाढ़ की त्रासदी से हरसाल न सिर्फ ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ जाती है, बल्कि करोड़ों रुपये की सरकारी सम्पत्ति का भी नुकसान होता है। सड़क, स्कूल भवन, पुलिया, फसल आदि बाढ़ के पानी में बह जाती है। बीते डेढ़ दशक में तीन अरब रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। -बाढ़ के पानी को रोकने के लिए तीन मीटर की चौड़ाई में रिग बांध बनाया जा रहा है। इससे पानी को आबादी में जाने से रोकने में मदद मिलेगी। फिलहाल, नदियों का जलस्तर लगातार घट रहा है। कटान की निगरानी के साथ ही बचाव कार्य जारी है।

- बीएन शुक्ल, अधिशासी अभियंता बाढ़ कार्यखंड


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