लॉकडाउन में मानदेय दिया नहीं, नौकरी से निकाला
- यदि कर्मचारी ब्लॉक नहीं आ रहा था तो दो माह तक एडीओ पंचायत ने क्यों इंतजार किया। यही नहीं फरवरी के लिए जारी पेरोल में रोहित कुमार की भी हाजिरी दर्ज की गई है। संबंधित कर्मी ने मार्च में डीपीआरओ कार्यालय में आकर भी कामकाज किया है। संबंधित कर्मी को हटाने का फैसला बिना जिला स्वच्छता समिति की बैठक में पास कराए ही कर लिया गया।
गोंडा : लॉकडाउन के दौरान कर्मियों को समय से वेतन व नौकरी न निकालने की गुहार भले ही प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री लगा रहे हों। लेकिन, जिले में हकीकत जुदा है। यहां मानदेय का भुगतान किए बिना ही कंप्यूटर ऑपरेटर को नौकरी से निकाल दिया गया। पीड़ित ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है।
मामला नवाबगंज ब्लॉक का है। यहां स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर सेवा प्रदाता के जरिए रोहित कुमार की तैनाती की गई थी। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान एडीओ पंचायत नवाबगंज ने 27 मार्च को डीपीआरओ को भेजी गई रिपोर्ट में कंप्यूटर ऑपरेटर के गत दो माह से कार्यालय न आने की सूचना दी थी। यही नहीं संबंधित कर्मी के मोबाइल पर संपर्क न होने का कारण बताते हुए सेवा से हटाए जाने की संस्तुति की थी। डीपीआरओ ने 28 मार्च को संबंधित कर्मी को वापस कर दिया। एक पखवारा बाद शहरी आजीविका केंद्र प्रबंधक ने तैनाती निरस्त करने की सूचना संबंधित कर्मी को सोशल मीडिया के जरिए भेजी।
सवालों के घेरे में एडीओ पंचायत की रिपोर्ट :- यदि कर्मचारी ब्लॉक नहीं आ रहा था तो दो माह तक एडीओ पंचायत ने क्यों इंतजार किया। यही नहीं, फरवरी के लिए जारी पेरोल में रोहित कुमार की भी हाजिरी दर्ज की गई है। संबंधित कर्मी ने मार्च में डीपीआरओ कार्यालय में आकर भी कामकाज किया है। संबंधित कर्मी को हटाने का फैसला बिना जिला स्वच्छता समिति की बैठक में पास कराए ही कर लिया गया। यदि कंप्यूटर ऑपरेटर ने काम किया है तो मानदेय जरूर मिलेगा। मैं पत्रावली का अवलोकन करके जल्द ही निर्णय लूंगा।
-सभाजीत पांडेय, डीपीआरओ