स्वच्छता की राह में सीवर लाइन का रोड़ा
गोंडा स्वच्छ गोंडा- सुंदर गोंडा की राह में सबसे बड़ी मुश्किल जलनिकासी की है। कहीं पर न
गोंडा: स्वच्छ गोंडा- सुंदर गोंडा की राह में सबसे बड़ी मुश्किल जलनिकासी की है। कहीं पर नालियां जाम है तो कहीं नाले चोक है। ऐसे में घरों के सामने गंदा पानी भरे होने के कारण नागरिकों को मुश्किल से जूझना पड़ रहा है। यह हाल तब है जब जिला प्रशासन ने वर्ष 2012 में सीवर लाइन का प्रोजेक्ट तैयार किया था, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली।
नगर पालिका परिषद में कुल 27 वार्ड है। इसमें पौने दो लाख की आबादी निवास कर रही है। यहां पर जल निकासी के लिए कुल 38 नाले है। कई पुलिया धंस गई है। नगर में लोक निर्माण विभाग की सात सड़कें हैं, ऐसे में पुलिया की मरम्मत का काम पालिका व लोक निर्माण विभाग के बीच फंसा हुआ है।
यह बना था प्लान:
वर्ष 2012 में तत्कालीन डीएम डा. रोशन जैकब के निर्देश पर 332 करोड़ रुपये का सीवर लाइन का प्लान तैयार किया गया था। 25 मिलियन लीटर प्रतिदिन की क्षमता का ट्रीटमेंट प्लांट, 232.697 किलोमीटर की सीवरेज लाइन, एक अदद पंपिग स्टेशन, 325 मीटर की राइजिग मेंस, तीन स्टाफ क्वार्टर, 270.50 मीटर की चहारदीवारी, 60 मीटर की अप्रोच रोड का काम शामिल किया गया था। यह प्रस्ताव फाइलों में गुम हो गया है। जल निगम शहरी के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार सिंह का कहना है कि इस प्रस्ताव के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अभी अमृत योजना का पार्ट टू लांच हो रहा है। इसके बाद देखा जाएगा। पब्लिक बोल::
सीवर लाइन के लिए जिम्मेदार हो गंभीर
- अधिवक्ता अलंकार सिंह का कहना है कि नगर में सीवर लाइन अति आवश्यक है। कई बार इसकी मांग की गई, कार्रवाई सिफर है। जितेंद्र पांडेय का कहना है कि स्वच्छता की रैंकिग में नंबर वन आने के लिए सीवर लाइन आवश्यक है। अविनाश सिंह का कहना है कि इसको लेकर अधिकारियों से मुलाकात की जाएगी। देवव्रत सिंह का कहना है कि जल निकासी की व्यवस्था अगर सुधर जाए तो समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है।