इच्छाशक्ति का अभाव, कैसे पड़ेगा व्यवस्था पर प्रभाव
मंडल मुख्यालय पर ही नहीं है सिग्नल लाइट की व्यवस्था कर्मियों व संसाधनों का भी टोटा
गोंडा : मंडल मुख्यालय को पहचान दिलाने में यातायात व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बेहतर सड़क और सिग्नल सिस्टम शहर को गति देते हैं लेकिन, जिले में इनके लिए जिम्मेदार विभागों की हालत बेहतर नहीं है। जिले की ट्रैफिक पुलिस और संभागीय परिवहन विभाग दोनों की हालत एक जैसी है। विभागों में कर्मियों की संख्या में कमी के साथ पर्याप्त संसाधन तक नहीं हैं। अधिकारियों में इच्छाशक्ति की भी खासी कमी है।
मंडल मुख्यालय होने के बावजूद जिले की सड़क यातायात व्यवस्था दुरुस्त नहीं हैं। किसी भी चौराहे सहित पूरे जिले में सिग्नल लाइट नहीं लगी है। 15 यातायात पुलिस कर्मी की ही तैनाती है। यही कारण है कि मंडल मुख्यालय के अधिकांश चौराहों की यातायात व्यवस्था होमगार्ड व पीआरडी कर्मियों के हाथ होती है। सरकार भले ही संभागीय परिवहन विभाग के दफ्तर को दलालों से छुटकारा दिलाने के लिए लाख प्रयास कर रही हो लेकिन, यहां इनके चंगुल से निकलना मुश्किल है। ऑनलाइन व्यवस्था लागू होने के बाद भी धरातल पर होने वाले परीक्षण व निरीक्षण का ठेका अभी भी दलालों के हाथ में है। मंशा पूरी करने वाले अप्रशिक्षित लोगों के हाथ में ड्राइविग लाइसेंस होता है और प्रशिक्षित लोग इसके लिए दौड़भाग में ही लगे रहते हैं। विभाग के पास न तो पर्याप्त संसाधन है और न ही इच्छाशक्ति। अधिकारी व कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा विभाग कब अभियान चलाए और दफ्तर में कार्रवाई करे ? इसे लेकर तमाम सवाल उठते हैं। वहीं जिले में डग्गामार मोटर ट्रेनिग सेंटर भी संचालित हैं। ऐसे में चार पहिया चलाने का सही प्रशिक्षण लोगों को नहीं मिल पाता है लेकिन, उनके हाथों में ड्राइविग लाइसेंस जरूर पहुंच जाता है। आरटीओ दफ्तर की भागदौड़ से बचने के लिए अधिकांश लोग दलालों का सहारा लेते हैं।
यातायात नियमों का पालन कराने की नहीं इच्छाशक्ति
-पुलिस व संभागीय परिवहन दोनों विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों में यातायात नियमों का पालन कराने की इच्छाशक्ति नहीं है। बिना हेलमेट व सीट बेल्ट के लोग फर्राटा भरते हैं लेकिन, चौराहों पर खड़ी खाकी को यह नजर ही नहीं आता। इसी प्रकार अनफिट व डग्गामार वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। क्षमता से अधिक यात्री व ओवरलोड वाहन सड़कों पर फर्राटा भरते हैं लेकिन, संभागीय परिवहन विभाग व पुलिस इन पर कार्रवाई करने से कतराती है। स्पष्ट है कि कहीं न कहीं व्यवस्था में छेद है। एआरटीओ प्रशासन संजीव सिंह ने बताया कि लाइसेंस बनाने में पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जा रही है। कार्यालय में दलालों का प्रवेश वर्जित है। अनफिट वाहनों की जांच कराकर कार्रवाई की जाती है। पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडेय ने बताया यातायात नियमों के पालन कराने को अभियान के साथ प्रतिदिन चेकिग अभियान चलाया जाता है। यदि कहीं कोई शिकायत मिलती है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाती है।