आठ साल तक खाते में डंप रहे आठ करोड़
गोंडापरिषदीय स्कूलों में व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनके
गोंडा:परिषदीय स्कूलों में व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनके संचालन के लिए विद्यालय प्रबंध समिति (एसएमसी) का गठन किया गया है। विद्यालय विकास से जुड़े कार्यक्रम चलाने के लिए इसके खाते में रुपये भेजे गए थे। वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2018-19 तक विभिन्न मदों में आवंटित 8.77 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च ही नहीं हो सकी है। बजट के खर्च का विवरण मांगे जाने के बाद ये राजफाश हुआ है। अब अफसर इसके खर्च को लेकर नए आदेश का इंतजार कर रहे हैं।
परिषदीय स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों को स्वेटर, यूनीफॉर्म, भवन की रंगाई-पुताई व अन्य व्यवस्था के लिए धन दिया गया था। सरकार योजनाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे करती रही। बच्चों को बेहतर सुविधा देने का दम भरा जाता रहा। धरातल पर खाते से रुपये ही नहीं निकाले गए। ऐसे में बच्चों को क्या लाभ मिलता? यही नहीं, अधिकारियों ने भी रुपये के खर्च की खोजबीन करने की जहमत नहीं उठाई। इससे करीब सात वर्षो से रुपये पड़े रह गए। अब जब सख्ती हुई तो जिम्मेदारों ने पड़ताल की, जिसमें चौंकाने वाली बात सामने आई है।
पहले सूचना ही नहीं दे रहे थे जिम्मेदार
राज्य परियोजना निदेशक ने बीएसए से सूचना मांगी थी, जिसे सर्व शिक्षा अभियान के सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी (एएओ) को संकलित कर देनी थी। इसमें दिलचस्पी नहीं ली जा रही थी। इसे अफसरों ने आदेश के अनुपालन में स्वेच्छाचारिता मानते हुए एएओ व लेखाकार के नवंबर के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी। इसके बाद ब्लॉकों से सूचनाएं मंगाकर भेजी गई हैं।
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एसएमसी के खातों में रुपये डंप होने की जानकारी मिली है। उच्चाधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया जा रहा है। इसके खर्च को लेकर जो आदेश मिलेगा, उसका अनुपालन कराया जाएगा।
- मनिराम सिंह, बीएसए।