अयोध्या विकास की किरणों से रोशन होगी आस्था की डगर
चौरासीकोसी परिक्रमा पथ पर पड़ते सूकरखेत तुलसीदास जन्मस्थान बाराही देवी मंदिर व यमदग्नि आश्रम समेत कई प्रमुख पड़ाव
अजय सिंह, गोंडा : सप्तपुरियों में से एक अयोध्या की चौदहकोसी, पंचकोसी व चौरासीकोसी परिक्रमा का खासा महात्म है। कहते हैं कि चौरासी लाख यौनियों में भटकने से मुक्ति की चाह में चौरासीकोसी परिक्रमा की जाती है। इसी परिक्रमा पथ पर गोंडा जिले के कई प्रमुख धार्मिक स्थल आते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह जनपद त्रेता युग में अयोध्या जनपद के अधीन था। गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली हो या भगवान विष्णु द्वारा सूकर अवतार लिए जाने वाला पसका सूकरखेत, बाराही मंदिर भी इसी परिक्रमा पथ पर है। इन स्थलों के विकास के लिए सैंकड़ों साल से किसी भगीरथ प्रयास की आस थी। अब यह आस पूरी होती नजर आ रही है। कारण इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने अयोध्या की कनेक्टिविटी और सुंदरीकरण के लिए तैयार हजारों करोड़ की योजना में शामिल कर लिया है।
अयोध्या की चौरासीकोसी परिक्रमा 24 दिनों में पूरी होती है। बस्ती जिले के मखौड़ाधाम से शुरू होने वाली यह परिक्रमा वहां से अंबेडकरनगर, अयोध्या, बाराबंकी होते हुए गोंडा पहुंचती है। इसके बाद अयोध्या में समापन होता है। डॉ. स्वामी भगवदाचार्य के अनुसार जीव के 84 लाख योनियों से उद्धार के लिए यह परिक्रमा की जाती है। इसके तहत बस्ती में आठ, अयोध्या 29, अंबेडकरनगर व बाराबंकी दो-दो तथा गोंडा के 25 पड़ाव आते हैं। अब इस पथ का विकास होने से इन क्षेत्रों में पड़ने वाले प्रमुख धर्मस्थलों को संजीवनी मिल जाएगी। कटरा कुटी धाम के महंत स्वामी चिन्मयानंद ने भी इसपर खुशी का इजहार किया है। इनका कहना है कि भगवान श्रीराम से जुड़े स्थलों का विकास होने से अयोध्या व उसके आसपास क्षेत्रों में नया आयाम स्थापित होता। धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
चौरासीकोसी परिक्रमा पथ पर गोंडा के प्रमुख स्थल
1-गोस्वामी तुलसीदास मंदिर राजापुर
2-सूकरखेत नरहरि आश्रम
3-बाराही देवी मंदिर
4-यमदग्नि आश्रम
5-पहलवान वीर मंदिर