यहां तो दायरे में ही सिमटी रही आधी आबादी की सियासत
नंदलाल तिवारी गोंडा सियासत का मैदान तैयार हो गया है। हर दल चुनावी रण में डट गए हैं।
नंदलाल तिवारी, गोंडा: सियासत का मैदान तैयार हो गया है। हर दल चुनावी रण में डट गए हैं। लंबे चौड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन सियासत में नारी शक्ति की भागीदारी सिमटती जा रही है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जिले की सातों सीटों से एक भी महिला को जीत नहीं मिल सकी। यह बात अलग है कि वर्तमान विधानसभा चुनाव में कई महिला नेता मजबूती से दावेदारी पेश कर रही हैं। फिलहाल, कांग्रेस ने एक महिला प्रत्याशी का ऐलान किया है।
जिले से विधानसभा में महिला नेताओं के नुमाइंदगी पर गौर करें तो 1952 में कांग्रेस की सज्जन देवी मेहनौन विधानसभा सीट से चुनाव जीती थीं। इसके बाद 1957 में कांग्रेस की ही सरस्वती देवी ने जीत का परचम लहराया। इसके बाद 42 वर्ष तक वोट महिलाएं डालती रहीं, लेकिन कोई भी महिला विधानसभा नहीं पहुंच सकी।
2004 में हुए विधानसभा उपचुनाव में सपा से नंदिता शुक्ला ने जीत दर्ज करके नारी शक्ति को एक अलग पहचान दी। 2008 में कर्नलगंज विधानसभा के उपचुनाव में कुवंरि बृज सिंह भी बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची।
नहीं खुल सका खाता
- 2017 के चुनाव में किसी भी बड़े राजनीतिक दल ने महिला उम्मीदवारों को नहीं उतरा। मेहनौन से लगातार तीन बार विधायक चुनी गई नंदिता शुक्ला ने 2017 के चुनाव में खुद की जगह अपने बेटे को सपा से टिकट दिलवाया था। मेहनौन से ही निर्दलीय प्रत्याशी रहीं प्रतिभा सिंह व माधुरी देवी को भी 2017 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस बार कई महिला नेता अपनी दावेदारी कर रही हैं, लेकिन सिर्फ कांग्रेस ने ही एक को टिकट दिया है। यह हाल तब है जब जिले में 11 लाख 33 हजार 780 अकेले महिला मतदाता है।