पेश की मिसाल, 24 घंटे में बनाया अस्थायी पुल
स्कूल जाने के लिए बचों को होती थी परेशानी
गोंडा : बरसात, उफनाई नहरों व झीलों के पानी से टापू बन गए कंपोजिट स्कूल को सड़क से जोड़ने के लिए की गई पहल मिसाल बन गई। मात्र 24 घंटे के भीतर ही स्कूल जाने के लिए अस्थायी लकड़ी का पुल बनकर तैयार हो गया। जिससे स्कूल जाने वाले बच्चों व शिक्षकों के आवागमन की राह आसान हो गई।
बेलसर ब्लॉक की ग्राम पंचायत सेमरीकला स्थित कंपोजिट स्कूल पूरेपासी चारों तरफ पानी से घिर जाने के बाद टापू बन गया था। स्कूल के भवन तक जाने के लिए शिक्षकों व अभिभावकों को कई फिट गहरे पानी से होकर जाना पड़ता था। ऐसे में प्रधानाध्यापक संत कुमार त्रिपाठी ने इस समस्या से स्कूल प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष यदुनाथ को अवगत कराया। इसके बाद स्कूल जाने के लिए रास्ते पर एक अस्थायी पुल बनाने की तैयारी शुरू हो गई। फिर क्या था गांव के कई ग्रामीणों ने यूकेलिप्टस के पेड़ तथा कीलकांटे व रस्सी का इंतजाम शिक्षकों ने कर दिया। जबकि 120 पटरों को किराए पर लाया गया। सामग्री का इंतजाम होते ही प्रबंध समिति के अध्यक्ष ग्रामीणों के साथ पुल निर्माण में जुट गए। गहरे पानी मे 24 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद देखते ही देखते 40 फीट लंबा लकड़ी का अस्थायी पुल बनकर तैयार हो गया।
प्रधानाध्यापक संतकुमार त्रिपाठी ने बताया कि जलभराव के कारण स्कूल पहुंचने में जान का जोखिम बना हुआ था। अस्थायी पुल बनने से अब आवागमन आसान हो गया है। इस विद्यालय में 218 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। प्राइमरी में 3 व जूनियर हाईस्कूल में 2 शिक्षकों की तैनाती है।
ग्राम प्रधान लीलावती ने ग्रामीणों के कार्य को सराहा। बताया कि स्कूल तक जाने को चकमार्ग पटा है, लेकिन पानी इतना ज्यादा है कि चकमार्ग के ऊपर से बह रहा है। उन्होंने बताया कि पानी कम होते ही चकमार्ग को ऊंचा कर इंटरलॉकिग लगवाया जाएगा।