बजट उड़ाया फिर भी नहीं सुधरे हालात, सुविधाओं की दरकार
- ग्राम पंचायतों के साथ ही कंपोजिट ग्रांट से भी खर्च की गई धनराशि बीईओ से मांगा गया प्रस्ताव
- ग्राम पंचायतों के साथ ही कंपोजिट ग्रांट से भी खर्च की गई धनराशि, बीईओ से मांगा गया प्रस्ताव
अजय पांडेय, गोंडा : बेसिक शिक्षा विभाग ने कंपोजिट ग्रांट में 12 करोड़ रुपये खर्च किया है। ग्राम पंचायतों ने भी स्कूलों में सुविधाओं के विकास के नाम पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिया है। दोनों विभाग संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का दावा कर रहे हैं लेकिन, हालात में सुधार नहीं है। स्कूलों में बिजली से लेकर शौचालय व रैंप नहीं है। दिव्यांग छात्रों के लिए भी कुछ खास प्रबंध नहीं किया जा सका है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने परिषदीय स्कूलों में अवस्थापना सुविधाओं के लिए 18 पैरामीटर्स तय किया है। गत वर्ष इन्हीं पैरामीटर्स से संतृप्त करने के लिए कार्य कराए गए। अब कार्यों के मूल्यांकन के लिए जियो टैग सर्वे कराया गया तो दावे की पोल खुल गई। सर्वे रिपोर्ट की मानें तो 13 फीसद स्कूलों में ड्रिकिग वाटर फैसिलिटी नहीं है। 54 फीसद स्कूल पाइप वाटर सप्लाई से विहीन हैं। इसी तरह 23 फीसद बालक व 21 फीसद स्कूलों में बालिकाओं के लिए शौचालय नहीं है। टायलेट व टाइल्स की स्थिति भी बदतर है। आंकड़े बताते हैं कि 43 फीसद विद्यालयों में टायलेट व 52 फीसद में टाइल्स नहीं लगी है। इसी तरह 52 फीसद स्कूलों में मल्टिपल हैंडवाश की सुविधा नहीं है। यही नहीं, छात्रों को पढ़ाने के लिए अध्यापक जिस ब्लैक बोर्ड का उपयोग करते हैं चार फीसद में वह तक नहीं है। यह सब आंकड़े करोड़ों खर्च के बावजूद विभागीय दावे पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बोले जिम्मेदार
- जियो टैग सर्वे रिपोर्ट के आधार पर विद्यालय विकास के लिए कार्ययोजना बनाई जा रही है। खंड शिक्षा अधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर सहायक विकास अधिकारी पंचायत को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है जिससे कि स्कूलों में कार्य कराया जा सके।
-विनय मोहन वन, बीएसए