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नवजातों की जिदगी बचाने को चाहिए धरती के भगवान

जिससे समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिससे समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिससे समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिससे समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। जिससे समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 09:53 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 09:53 PM (IST)
नवजातों की जिदगी बचाने को चाहिए धरती के भगवान
नवजातों की जिदगी बचाने को चाहिए धरती के भगवान

गोंडा: किसी भी नवजात शिशु की जान न जाने पाए, इसके लिए महिला अस्पताल में तीन साल पहले 12 बेड का न्यू सिक बॉर्न केयर यूनिट स्थापित कर दिया गया। तत्समय कर्मचारी व अन्य संसाधन उपलब्ध कराए गए थे। अब एक बार फिर यहां पर संसाधनों की कमी ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। नवजात की भीड़ के कारण यहां पर 12 बेड कम साबित हो रहे हैं। इसके कारण आए दिन वाद विवाद की स्थिति बन रही है। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने व्यवस्था में इजाफा तो किया। अपने स्तर से वॉर्मर की ट्रॉली लगवा दिया लेकिन, अभी तक न तो फोटो थेरेपी मशीन मिली है न ही अन्य स्टॉफ।

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सोमवार की दोपहर एक बजे का वक्त, यूनिट के कर्मचारियों का दर्द था कि कर्मियों की कमी से दिक्कत आ रही है। मात्र एक ही बाल रोग विशेषज्ञ हैं। इनके जिम्मे यूनिट से लेकर वार्ड की ओपीडी तक का भार है। बेड बढ़ाने की तैयारी तो है लेकिन, स्टॉफ नहीं हैं। तीमारदार पंकज का कहना था कि दो दिन चक्कर काटने के बाद उनके घर का बच्चा यहां पर भर्ती हो सका। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राम लखन भी कर्मियों की कमी की बात को स्वीकार कर रहे हैं। जिम्मेदार के बोल

- यह बात सही है कि बाल रोग विशेषज्ञ की कमी है। कुछ बेड बढ़ाने की योजना है। इसके लिए स्टॉफ व उपकरण की मांग की गई है। इसके मिलने के बाद स्थिति सही हो जाएगी।

- डॉ. एपी मिश्र, सीएमएस महिला अस्पताल एक नजर आंकड़ों पर

पहली अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक

यूनिट में भर्ती बच्चे- 958

ठीक होने के बाद डिस्चार्ज- 660

अन्य अस्पताल को रेफर- 128

बिना बताए जाने वाले बच्चे- 81

बच्चों की मृत्यु- 89 पहली अप्रैल 2019 से 31 दिसंबर 2019 तक

यूनिट में भर्ती बच्चे- 1009

ठीक होने के बाद डिस्चार्ज- 772

अन्य अस्पताल को रेफर- 50

बिना बताए जाने वाले बच्चे- 84

बच्चों की मृत्यु- 103


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