जिला अस्पताल से 6729 मरीज लापता
- जनवरी से दिसंबर 2020 के बीच भर्ती मरीजों की रिपोर्ट से सामने आया सच - स्वास्थ्य सेवाओं की बद
- जनवरी से दिसंबर 2020 के बीच भर्ती मरीजों की रिपोर्ट से सामने आया सच
- स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली व इलाज में लापरवाही से उठे सवाल
नंदलाल तिवारी, गोंडा: आइए आपको स्वास्थ्य सेवाओं के सच से वाकिफ कराते हैं। जिला अस्पताल की बेहतरी पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। दवाओं की उपलब्धता के साथ ही अन्य पर फोकस किया जा रहा है। इसके बाद भी स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। जिला अस्पताल में जनवरी से दिसंबर 2020 की अवधि में 6729 मरीज भर्ती होने के बाद बिना डिस्चार्ज हुए अस्पताल से चले गए। इसकी जानकारी फाइल में अंकित करके मामले को दबा दिया गया।
मुख्यालय स्थित बाबू ईश्वर शरण जिला अस्पताल में प्रतिदिन 600 से अधिक मरीज आते हैं। इसमें से प्रतिदिन 40 से 60 मरीज भर्ती होते हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2020 के बीच कुल 17 हजार 874 मरीज भर्ती किए गए, इसमें से एक हजार 16 की मृत्यु हो गई। 2096 मरीजों को रेफर कर दिया गया। इस अवधि में जनवरी में 593, फरवरी में 631, मार्च में 671, अप्रैल में 395, मई में 462, जून में 422, जुलाई में 536, अगस्त में 539, सितंबर में 591, अक्टूबर में 729, नवंबर में 593 व दिसंबर में 567 मरीज बिना बताए अस्पताल से चले गए। इसमें से कुछेक मामलों की जानकारी अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को देकर मामले को बंद कर दिया।
स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल
- जिला अस्पताल में मरीजों के लापता होने के पीछे कई अहम कारण है। हृदय रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है। मानसिक रोग विशेषज्ञ व न्यूरो का कोई भी चिकित्सक नहीं है। डायलिसिस यूनिट को जाने वाले रास्ते पर गंदा पानी भरा है। नेत्र रोग विभाग में मरीजों को जमीनों पर बैठना पड़ रहा है। जिम्मेदार के बोल
- प्रमुख अधीक्षक डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया कि इस बारे में पूरी रिपोर्ट जुटाई जा रही है। इस बात की पड़ताल की जा रही है कि मरीज बिना किसी सूचना के अस्पताल से क्यों जा रहे हैं। खामियों को सुधार करके उसे सुधारा जाएगा।