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लाकडाउन से उबरे तो मंहगाई में उलझे

क्षेत्र के गरीब किसान मजदूर व श्रमिक वर्ग की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। कोरोना संक्रमण क ाल में लोगों को परेशानी से जूझना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 04:44 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 04:44 PM (IST)
लाकडाउन से उबरे तो मंहगाई में उलझे
लाकडाउन से उबरे तो मंहगाई में उलझे

जागरण संवाददाता, खानपुर (गाजीपुर): क्षेत्र के गरीब, किसान, मजदूर व श्रमिक वर्ग की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं। कोरोना संक्रमण क ाल में लोगों को परेशानी से जूझना पड़ा। काम धंधा ठप होना, रोजी रोजगार छीन जाना और आमदनी के सारे रास्ते बंद होने के बाद महीनों तक घरों में कैद रहकर किसी तरह अनलाक में उबर रहे थे कि राशन, सब्जी, तेल, मसाला की महंगाई ने उनकी मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। शादी और त्योहारों के सीजन में सरकार के लाख प्रयासों के बाद भी आलू, प्याज, दाल, तेल के दामों में लगातार बढ़ोतरी जारी है। खाली हाथ घरों में बैठे मजदूर, श्रमिक और कामगार लोगों के लिए दो जून के निवाले का इंतजाम करना भारी पड़ रहा है। अर्थशास्त्री सुधाकर त्रिपाठी कहते हैं कि कुटीर उद्योग और घरेलू व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए जीविकोपार्जन के कुछ सीमित अवसर उपलब्ध है। रेहड़ी, ठेला, गोमती या सड़क किनारे फुटपाथ वालों को सरकारी सहायता से धंधा उबारने का सार्थक प्रयास किया जा रहा है लेकिन आम आदमी के लिए राशन, पेंशन जैसे सार्वजनिक सहायता ऊंट के मुंह में जीरा के समान है।

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