विष्णु महापुराण कथा में हुआ शिव-पार्वती विवाह
जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता।
विष्णु महापुराण कथा में हुआ शिव-पार्वती विवाह
जांस, गहमर (गाजीपुर) : स्थानीय गांव के बुढ़वा महादेव मंदिर परिसर में चल रहे विष्णु महापुराण कथा में कथा वाचक डा. राजकुमार तिवारी ने शिव-पार्वती विवाह का सचित्र प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि विवाह संस्कार पवित्र संस्कार है लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता।
कथा के दौरान कपिल भगवान ध्रुव चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि ध्रुव ने आत्मविश्वास के साथ पांच वर्ष की अवस्था में ईश्वर को प्राप्त कर लिया। हमें भी आत्मविश्वास से ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। क्योंकि आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। मां भगवती का सती रूप में योग अग्नि में लीन होने, उसके बाद हिमालय पर्वत पर महाराज हिमालय व मैना देवी के यहां पार्वती के जन्म कथा प्रसंग सुनाया। मां पार्वती जी ने बड़ी घोर तपस्या भगवान भोलेनाथ के लिए की।
उसके परिणाम स्वरूप भगवान भोले ने आशीर्वचन दिए। भगवान शिव प्रसन्न हुए और पार्वती माता का भोलेनाथ के साथ विवाह हुआ। ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र, लोकपाल देवता विवाह में सम्मिलित हुए। हिमालय ने ढोल-नगाड़ों के साथ में भगवान की बरात की अगवानी की। कथा में भूतों की टोली के साथ नाचते गाते हुए शिव जी बरात आई। बरात का भक्तों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। शिव पार्वती की सचित्र झांकी सजाई गई। विधि विधान पूर्वक विवाह संपन्न हुआ महिलाओं ने मंगल गीत गाए और विवाह की रस्म पूरी हुई। विष्णु महापुराण कथा दस अगस्त तक प्रतिदिन दोपहर दो से सायं छह बजे तक चलेगी।