बारावफात आज, नहीं निकलेगा जुलूस
पैगंबरे इस्लाम की योमे पैदाइश (जन्मदिवस) का पर्व बारावफात इस साल भी सादगी के साथ मंगलवार को मनाया जाएगा।
जागरण संवाददाता, गाजीपुर : पैगंबरे इस्लाम की योमे पैदाइश (जन्मदिवस) का पर्व बारावफात इस साल भी सादगी के साथ मंगलवार को मनाया जाएगा। कोरोना के मद्देनजर कमेटी ने जुलूस नहीं निकालने का निर्णय लिया है। श्रद्धालु अपने-अपने घरों, मस्जिदों आदि में मिलाद शरीफ का आयोजन करेंगे। इस मौके पर नगर में मुस्लिम समाज ईद मिलादुन्नाबी सादगीपूर्वक मनाएगा। उधर, प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था चौकस कर रखी है।
दुनिया में मानवता और इंसानियत का संदेश देने वाले पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब का जन्मदिवस जश्ने आमदे रसूल ईद मिलादुन्नाबी को लेकर मस्जिद वगैरह सजाए जा चुके हैं। सुबह कुरानख्वानी और जश्न ईद-ए-मिलादुन्नबी का आयोजन किया गया जाएगा। इसके बाद देर रात तक जगह-जगह तकरीर वगैरह के आयोजन होंगे। मदरसा दारूल उलूम कादरिया के प्रधानाचार्य फरीद अशरफ कादरी ने बताया कि इस वर्ष भी समाजजनों ने कोरोना को देखते हुए भीड़ एकत्रित न हो, इसके लिए नगर में निकलने वाले जुलूस को स्थगित कर दिया गया है। जुलूस निकालने के लिए प्रशासन ने भी अनुमति नहीं दी है।
भदौरा : रबी-उल-अव्वल पर निकलने वाले जुलूस को भी स्थगित कर दिया गया है। अंजुमनों का कहना है कि प्रशासन ने तो 200 लोगों की अनुमति दी है। जुलूस में 200 लोगों से अधिक भीड़ जुटने की संभावनाओं को लेकर इसे नहीं निकालने का निर्णय किया गया है। रबी-उल-अव्वल शरीफ (बारावफात) मुस्लिम धर्मावलंबियों का सबसे महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन जगह-जगह जलसों का आयोजन किया जाता है, जबकि विभिन्न अंजुमनों (कमेटियों) द्वारा जुलूस निकाले जाते हैं। दारुल उलूम अहले सुन्नत मदरसा गौसिया बारा (मस्तानबाग) के प्रिसिपल मौलाना कलीमुद्दीन शम्सी का कहना है कि हालात पहले से काफी बेहतर हो चुके हैं। बावजूद इसके जोखिम मोल लेने की जरूरत नहीं है। कहा कि घरों व मस्जिदों में सजावट कर अकीदत का इजहार किया जा सकता है। शादियाबाद: पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का जन्म पूरे विश्व में मुसलमानों द्वारा बहुत उत्साह व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बहुत सारे मुसलमान रबी-उल-अव्वल के पूरे महीने घरों में मिलाद भी रखते हैं।
बहुत खास होता है यह दिन
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रबी-उल-अव्वल साल का तीसरा महीना होता है। बारावफात को ईद ए मिलाद और मिलादुन्नबी के नाम से भी जाता है। हर मुसलमान के लिए यह दिन बहुत खास होता है। मुस्लिम समुदाय के लिए यह दिन ईद से कम नहीं होता है क्योंकि इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था। मस्जिदों में दुआएं कराई जाती हैं और रात भर मिलाद उन नबी की मजलिसें भी सजाई जाती हैं। इसमें हजरत मोहम्मद साहब की हदीसें पढ़ी जाती हैं। लोगों को इस्लाम के बताए सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया जाता है। तरह तरह के पकवान बनाकर नजर नियाज दिलाई जाती है और लंगर चलाया जाता है।