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विजय स्तंभ को देखने को कभी लगती थी विदेशी पर्यटकों की भीड़

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By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 11:24 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2019 06:25 AM (IST)
विजय स्तंभ को देखने को कभी लगती थी विदेशी पर्यटकों की भीड़
विजय स्तंभ को देखने को कभी लगती थी विदेशी पर्यटकों की भीड़

हाइलाइटर

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....... -जीवन में पर्यटन का मुकाम काफी अहम है इसे न सिर्फ हम अपनी परेशानियों को भूल जाते हैं बल्कि शरीर को एक नई ऊर्जा मिलती है। यही नहीं पर्यटन न सिर्फ हमारे जीवन में खुशियां लाता है बल्कि वे परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के काफी करीब लाने का मौका भी देता है। अक्सर हम सभी अपनी रोज की जिदगी से बोर हो जाते हैं। ऐसे में तरोताजगी के लिहाज से बाहर निकलने के लिए पर्यटन पर जाते हैं। इसमें मनोरंजन औऱ आनंद मिलता है। साथ ही देश दुनिया की नई जानकारियां भी मिलती हैं। हालांकि इस व्यस्तता भरे जीवन और आíथक परेशानियों के इस झमेलों में अपने लिए समय नहीं निकाल पाते लेकिन ऐसा करना अपने परिवार के सदस्यों के साथ अन्याय करना है। इसलिए जीवन को खुशरंग बनाने के लिए पर्यटन का अहम मुकाम देना जरूरी है। नगर मुख्याल से 33 किलोमीटर दूर जमानियां तहसील में स्थित गुप्तकालीन विजय स्तंभ स्थल को पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित किया जाए तो यहां सैलानियों की भीड़ लगने के साथ ही क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं विकसित होंगी। साथ ही क्षेत्र विशेष पर्यटन रूप में अपनी पहचान बनाएगा। इसी संभावना को साकार करने के लिए दैनिक जागरण ने 'पड़ोस में पर्यटन' की शुरुआत की है ताकि स्थानीय पर्यटन को ऊंचाई तक ले जाने का मौका मिल सके। आइए आज जागरण संग यहां की सैर करिए। ---------- जासं, जमानियां (गाजीपुर) : प्राचीन काल के गरिमामयी अवशेष को सहेजे शाहपुर लठिया गांव सहित गुप्तकालीन विजय स्तंभ स्थल को देखने कभी विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगती थी। सरकार और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते यह स्तंभ अपना अस्तित्व खो रहा है। अगर सरकार इस पर ध्यान दे तो आधुनिक दौर में यह क्षेत्र का प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है। देखरेख के अभाव में इसकी चमक विलुप्त होती जा रही है। यहां प्रकाश, पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। रात्रि में पूरा परिसर अंधेरे में डूब जाता है। परिसर में घास-फूस उग गए हैं। स्तंभ परिसर में बैठने के लिए बने सीमेंटेड सीट भी टूट चुके हैं। मुख्य द्वार से गेट तक दोनों ओर घास जम गई है। एक चौकीदार द्वारा इसका देख रेख की जाती है। लाट परिसर में समुचित व्यवस्था नहीं होने से अब लोग यहां नहीं आते है। इसके पीछे सरकार और जनप्रतिनिधि दोनों की उदासीनता है। सरकार की ओर से इस स्थल के चारों तरफ चहारदीवारी बनवाई गई है, जबकि यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा अधिग्रहित है। यदि उत्खनन के दौरान प्राप्त प्राचीन वस्तुओं के प्रदर्शन के लिए यहां संग्रहालय का निर्माण तथा पर्यटकों के रहने तथा आवागमन के बेहतर प्रबंध किए जाएं तो यह ऐतिहासिक स्थल क्षेत्र के प्रमुख पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित हो सकता है। ------ अंग्रेज इतिहासकार ने की थी खोज

-लटिया स्तंभ को सबसे पहले अंग्रेज इतिहासकार ने 1870 में खोज निकाला था। हालांकि इस स्थल की ऐतिहासिक महत्ता और इससे जुड़ी जानकारी सामने लाने के लिए कुछ वर्ष पूर्व भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां उत्खनन कराया था। तब यहां उत्तर भारत के विशाल मंदिर का प्रमाण मिला। वहीं उत्खनन के दौरान मृदभांडों के टुकड़े, कूड़ा का उचित निस्तारण प्रबंधन तथा पक्की नालियों आदि की जानकारी हुई थी। ब्रिटिश राज में कनिघम ने भी यहां खोदाई कराई थी। उन्होंने स्थानीय राजा मदन के द्वारा यहां मदनेश्वर मंदिर स्थापित कराने की जानकारी दी थी। मंदिर के पश्चिमी सिरे पर गुप्तकालीन राजा समुद्रगुप्त के द्वारा गोल बलुआ पत्थर से विजय स्तंभ तथा उसके ऊपर गुप्त राज्य का राजकीय चिन्ह गरुण की मूíत का निर्माण कराया गया था। मध्यकाल में इस मंदिर पर आक्रमण कर इसे ध्वस्त कर दिया गया तथा गरुण की मूíत को भी खंडित कर दिया गया। वहीं अंग्रेजी राज में रेलवे स्टेशन के निर्माण में भी यहां के भग्नावशेष में पड़ी गुप्तकालीन ईंटों का इस्तेमाल किया गया। हालांकि लटिया स्थित स्तंभ को सम्राट अशोक क्लब से जुड़े लोग अशोक स्तंभ बताते हैं। लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने स्तंभ परिसर की कुछ वर्ष पहले खोदाई करायी थी और स्तंभ तथा परिसर को गुप्तकालीन बताया था। जानकारी दी थी कि यह स्तंभ विजय स्तंभ है और इसके शीर्ष भाग पर स्थापित राजकीय चिह्न गरुण की प्रतिमा भी खंडित अवस्था में स्तम्भ के पास मौजूद है। इसका जिक्र राजकीय अभिलेष में भी है। ---

उत्खनन में मिले थे मृत पन्ना व गुप्तकालीन सिक्के

-वर्ष 2009- 2010 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक केएन श्रीवास्तव के दिशा निर्देशन में चार सितंबर 2009 में उत्खनन का कार्य शुरू हुआ जो एक वर्ष तक चला। उत्खनन का कार्य पटना उत्खनन शाखा तीन की टीम ने किया था। उस दौरान लटिया से जो अवशेष मिले उससे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम हैरान रह गई थी। यहां के लोग जल संरक्षण के अग्रदूत थे। पानी का उपयोग करने वाले जो मृदभांडों का वे इस्तेमाल करते थे। उनकी बनावट ऐसी थी कि कम से कम पानी बाहर गिरे। शायद पुरखों को कूड़ा-कचरा से होने वाली बीमारियों का भी संज्ञान था। शायद इसी वजह से गड्ढे की प्रणाली को विकसित किए हों। उत्खनन के दौरान मृत पन्ना व गुप्तकालीन सिक्के व राजकीय मोहर, ईंट व पक्की दीवार का अवशेष तथा अन्य कई अमूल्य समान प्राप्त हुआ था जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां से ले जाकर सारनाथ स्थित संग्रहालय में रखवा दिया है। वहीं उत्खनन के लिए बनाए गए ट्रेंचों में पालीथिन सीट बिछवाकर दोबारा उसमें मिट्टी भरवा दी गई। --------

विदेशी पर्यटक भी कर चुके हैं लटिया का अवलोकन -जापान, अमेरिका आदि देशों से आये विदेशी पर्यटक जल मार्ग से वाराणसी जाने के दौरान जमानियां में रुक कर लटिया घूम चुके हैं। वे प्राचीन भारत के गौरवशाली अवशेष को देखकर काफी हैरान थे। अगर लटिया का पर्यटन की ²ष्टि से विकास किया जाए तथा प्राचीन काल के स्वरूप को दोबारा वही स्रूप में विकसित किया जाए तो स्थानीय लोगों के साथ यहां देशी- विदेशी पर्यटकों आगमन बढ़ जाएगा। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना बढ़ेगी। वहीं इस स्थल की वैश्विक स्तर पर पहचान बनेगी। ---

जिला मुख्यालय से 33 किमी है दूर

- शाहपुर लठिया गांव स्थित विजय स्तंभ की दूरी 33 किमी है। जिला मुख्यालय से यहां पहुंचने के लिए लोग एनएच 24 से होकर तहसील मुख्यालय पहुंचते हैं। इसके बाद थाना के पीछे जमानियां दरौली रोड से स्तंभ पर पहुंचते है। नगर सहित क्षेत्र के लोगों के लिए भी यही मार्ग है। वहीं दिलदारनगर, गहमर, भदौरा सहित बिहार के लोग दिलदारनगर दरौली मार्ग से ही यहां पहुंचते हैं। यह दूरी तय करने के लिए लोग अपने निजी वाहन एवं टैंपों से कर सकते हैं। ---

हर वर्ष होता है लटिया महोत्सव सम्राट अशोक क्लब की ओर से हर वर्ष दो फरवरी को लटिया महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम में पूर्वांचल के कोने कोने से लाखों की संख्या में लोगों का जमावड़ा होता है। इस दिन मेला जैसा नजारा रहता था। लोग बोले .. ---------- फोटो- 52सी गुप्तकालीन विजय स्तंभ स्थल का विकास बेहद जरूरी है। अगर सरकार इस ओर ध्यान दे तो इसका कायाकल्प हो जाएगा। यह हम लोगों के क्षेत्र का अमूल धरोहर है। इस धरोहर को सहेज कर रखने की जरूरत है।

- रामअशीष राम, शाहपुर लठिया। ---

फोटो- 53सी

विजय स्तंभ को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। इससे पर्यटकों का आवागमन होगा रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। वर्तमान समय में सरकार की अनदेखी से यह विजय स्तंभ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।

- कन्हैया बिद, शाहपुर लठिया।

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फोटो- 54सी दरौली जमानियां रोड पर स्थित इस विजय स्तंभ पर पहले विदेशी पर्यटक भी आते थे लेकिन विकास नहीं होने के कारण यहां कोई अब आता जाता नहीं है। अगर सरकार इसको पर्यटन की तर्ज पर विकसित कर दे तो जिले और क्षेत्र का नाम होगा।

- रामवतार, हमीदपुर। --------------- पर्यटन स्थल में रूप किया जाएगा विकसित

फोटो- 55सी -दैनिक जागरण की पहल नेक है। लटिया स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री को पत्र दिया जाएगा। लटिया स्थल पर्यटन के ²ष्टिकोण से बेहद जरूरी है। इसके लिए पूरा प्रयास होगा। - सुनीता सिंह, विधायक, जमानियां ।


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