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चार पैटन टैंक उड़ाने के बाद ही परमवीर के लिए कर दी गई थी सिफारिश

जितेंद्र यादव -------- गाजीपुर भारत-पाकिस्तान युद्ध-1965 परमवीर वीर अब्दुल हमीद की जांबाजी

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 09:56 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 09:56 PM (IST)
चार पैटन टैंक उड़ाने के बाद ही परमवीर के लिए कर दी गई थी सिफारिश
चार पैटन टैंक उड़ाने के बाद ही परमवीर के लिए कर दी गई थी सिफारिश

जितेंद्र यादव

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गाजीपुर : भारत-पाकिस्तान युद्ध-1965 परमवीर वीर अब्दुल हमीद की जांबाजी के लिए भी जाना जाता है। जिसने जीप पर बैठकर अपराजेय माने जाने वाले पाकिस्तान के एक-दो नहीं, आठ पैटन टैंकों की मैदान-ए-जंग में कब्रगाह बना दी। पहले दिन नौ सितंबर को चार पैटन टैंक उड़ाने के बाद ही परमवीर के लिए उनके नाम की सिफारिश कर दी गई थी लेकिन अगले दिन 10 सितंबर को वह चार और टैंकों को उड़ाने के बाद शहीद हो गए।

वह अप्रतिम शौर्य अविस्मरणीय दास्तां लिख चुके थे। परमवीर चक्र से सम्मानित हुए अब्दुल हमीद अब्दुल हमीद को उनके अदम्य साहस और वीरता के लिए

मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित

किया गया। 28 जनवरी, 2000 को भारतीय डाक विभाग ने वीरता पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में पांच डाक टिकटों के सेट में तीन रुपये का एक डाक टिकट जारी किया। इस डाक टिकट पर रिकायलेस राइफल से गोली चलाते हुए जीप पर सवार वीर अब्दुल हमीद की तस्वीर बनी हुई है। पूरे देश में आज उनका शहादत दिवस मनाया जा रहा है।

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लाठी व कुश्ती था शौक

: गाजीपुर के धामपुर गांव में एक जुलाई 1933 को अब्दुल हमीद का जन्म हुआ था। उनके पिता मोहम्मद उस्मान सिलाई का काम करते थे, लेकिन हमीद का मन इस काम में नहीं लगता था। उनकी दिलचस्पी लाठी चलाना, कुश्ती का अभ्यास करना, नदी पार करना, गुलेल से निशाना लगाना जैसी चीजों में थी। इसके साथ ही लोगों की मदद के लिए भी वह बढ़-चढ़कर आगे आते थे। 20 साल की उम्र में अब्दुल हमीद वाराणसी में भारतीय सेना में भर्ती हुए। प्रशिक्षण के बाद उन्हें 1955 में चार ग्रेनेडियर्स में पोस्टिग मिली।

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.जब टूट गई बिस्तरबंद की रस्सी

: 1965 में जब भारत-पाकिस्तान युद्ध के मुहाने पर आ खड़े हो गए थे, तो उस समय अब्दुल हमीद अवकाश अपने घर गए थे। सीमा पर पाक से तनाव बढ़ने के बीच उन्हें वापस ड्यूटी पर आने का आदेश मिला। उनके पोते जमील आलम बताते हैं कि ड्यूटी पर जाने के लिए वह बिस्तरबंद बांध रहे थे, उसी समय उसकी रस्सी टूट गई थी। इस पर उनकी पत्नी रसूलन बीबी ने अपशकुन माना और उन्हें जाने से रोकने लगीं, लेकिन हमीद ने देश की रक्षा को सबसे ऊपर रखा और ड्यूटी पर रवाना हो गए।

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गन्ने के खेतों की आड़ से करते रहे फयरिग

: जीप से ध्वस्त कर दिए ''अपराजेय'' पैटन टैंक वीर अब्दुल हमीद पंजाब के तरनतारण जिले के खेमकरण सेक्टर में पोस्टेड थे। पाकिस्तान ने उस समय के अमेरिकन पैटन टैंकों से खेमकरण सेक्टर के असल उताड़ गांव पर हमला कर दिया। उस वक्त ये टैंक अपराजेय माने जाते थे। रिपो‌र्ट्स के मुताबिक, अब्दुल हमीद की जीप आठ सितंबर 1965 को सुबह नौ बजे चीमा गांव के बाहरी इलाके में गन्ने के खेतों से गुजर रही थी। वह जीप में ड्राइवर के बगल वाली सीट पर बैठे थे। उन्हें दूर से टैंक के आने की आवाज सुनाई दी। कुछ देर बाद उन्हें टैंक दिख भी गए। वह टैंकों के अपनी रिकायलेस गन की रेंज में आने का इंतजार करने लगे और गन्नों की आड़ का फायदा उठाते हुए फायर कर दिया।

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8वां टैंक उड़ाते समय बलिदान हुए हमीद

- जमील आलम बताते हैं कि वीर अब्दुल हमीद 8वां टैंक उड़ाते हुए बलिदान हो गए। अब्दुल हमीद के साथी बताते हैं कि उन्होंने एक बार में चार टैंक उड़ा दिए थे। इसकी सूचना आर्मी मुख्यालय में पहुंच गई थी। उनको परमवीर चक्र देने की सिफारिश भेज दी गई थी। इसके बाद 10 सितंबर को उन्होंने तीन और टैंक नष्ट कर दिए थे। जब उन्होंने आठवें टैंक को निशाना बनाया तो एक पाकिस्तानी सैनिक की नजर उन पर पड़ गई। दोनों तरफ से फायर हुए। आठवां पाकिस्तानी टैंक तो नष्ट हो गया, लेकिन अब्दुल हमीद की जीप के भी परखचे उड़ गए। देश की रक्षा करते हुए यह वीर बलिदान हो गया।


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