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फिर जोर पकड़ने लगा पुस्तकालय का मुद्दा

बारा (गाजीपुर) बिहार सीमा पर स्थापित बारा गांव में पुस्तकालय निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है। कांग्रेस सरकार में वर्ष 1970 में पुस्तकालय के लिए दो स्थानों पर भूमि का आवंटन होने के बाद जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अब तक यहां एक अदद पुस्तकालय का निर्माण नहीं हो सका है

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 05:57 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 06:24 AM (IST)
फिर जोर पकड़ने लगा पुस्तकालय का मुद्दा
फिर जोर पकड़ने लगा पुस्तकालय का मुद्दा

जासं, बारा (गाजीपुर) : बिहार सीमा पर स्थापित बारा गांव में पुस्तकालय निर्माण का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है। कांग्रेस सरकार में वर्ष 1970 में पुस्तकालय के लिए दो स्थानों पर भूमि का आवंटन होने के बाद जिला प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अब तक यहां एक अदद पुस्तकालय का निर्माण नहीं हो सका है जिसके चलते लोगों को पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। हालांकि इस बार क्षेत्रीय लोग खामोश बैठने वाले नहीं हैं।

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गांव के पूर्वी फुटबाल ग्राउंड व बस स्टैंड के समीप पुस्तकालय निर्माण के लिए वर्षों पूर्व एक-एक मंडा भूमि उपलब्ध कराई गई। इसके आवंटन से पुस्तकों के शौकीनों को उम्मीद बंधी अब उनको पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करने में सहूलियत होगी। धीरे-धीरे समय बीतने के साथ ही लोगों की उम्मीदें धुंधली होने लगी। कई बार ग्रामीणों ने पुस्तकालय निर्माण के लिए आवाज भी बुलंद की लेकिन इनकी आवाज को अनसुना कर दिया गया। इस मुद्दे को कई बार जनप्रतिनिधियों के समक्ष भी रखा। उन्होंने आश्वासन भी दिया लेकिन अब तक एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी। लंबे समय से भूमि खाली पड़ी रहने के कारण अवैध कब्जा भी बढ़ता जा रहा है। पूर्वी फुटबाल ग्राउंड के पास पुस्तकालय के आधे से अधिक भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया है। गांव के ही कुछ लोगों द्वारा भूमि पर मकान निर्माण कार्य कराया जा रहा था। तब लेखपाल को बुलाकर भूमि की नापी कराई गई तो वह भूमि पुस्तकालय की निकल गई। तहसील प्रशासन के आदेश पर निर्माण कार्य को बंद कर उठाए गए दीवार को ढहाने का आदेश दिया गया था। निर्माण कार्य तो बंद कर दिया गया लेकिन दीवार को अब तक नहीं ढहाया गया है। 

लोग बोले ..

स्थानीय गांव के जावेद खां उर्फ मंटृू ने कहा कि पुस्तकालय निर्माण हो जाता तो इसका लाभ क्षेत्र के युवाओं को मिलता। इसके अलावा उनको कंप्टीशन की तैयारी में काफी सहयोग मिलता लेकिन इसका निर्माण न होने से लोगों में काफी निराशा है। सैय्यद जावेद ने कहा कि इसके निर्माण की बात उठने से पुस्तकों के शौकीनों की बांछे खिल गई थीं। उम्मीद जगी कि अब पुस्तकीय ज्ञान के लिए अन्य स्थानों पर नहीं जाना होगा। अलियार खां ने कहा इन दिनों शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। क्षेत्र में लाइब्रेरी की व्यवस्था नहीं होने से उनको स्कूली ज्ञान के अलावा अन्य जानकारियों नहीं मिल पाती है जिसके चलते उनको कंप्टीशन में सफलता प्राप्त करने में दिक्कत हो रही है। कमोबेश तुफैल खो का भी यही करना था। कहा कि इसका निर्माण जरूरी है। इस बार चुनाव में इस मुद्दे को ग्रामीण प्रमुखता से उठाएंगे।


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